आ चलें प्रेम के पनघट पे
डॉ. सुरिन्दर कौर नीलम(झारखंड) ************************** काव्य संग्रह हम और तुम से शहर की भीड़ में सूनापन,भावों का सूखा वृंदावन,आ चलें प्रेम के पनघट पे। मोबाइल को छोड़ो तब हो मिलने की गुंजाइश,जेबों में लम्हें भर लाना बस इतनी फरमाइश।दौर मशीनों का साजन,न टूटें रेशम के बंधन,आ चलें प्रेम के पनघट पे…। वही नशीले नटखट कंगन … Read more