उदयपुर (राजस्थान)
महफ़िल मस्ती मय का दरिया है,
सागर की गहराई,आँखों के प्यालों में।
साकी,शबाब,शराब,शराबी सब डूबे हैं,
सावन के कारे कजरारे घने बालों में।
मनमोहन की मनमोहक बाँसुरी की सुन धुन,
तज लज्जा,दौड़ी आईं गोपियां,जो थीं तालों में।
धड़कने मचलने लगीं,रोम-रोम सुलगने लगा,
देखा जो काली दीठ-सा तिल,उनके गालों में।
खोई-खोई आँखों में,चाँद-सा ख्वाब लिए बैठी गोरी,
गुलाब सजाए काली कजरारी जुल्फों में॥
परिचय – डॉ.नीलम कौर राजस्थान राज्य के उदयपुर में रहती हैं। ७ दिसम्बर १९५८ आपकी जन्म तारीख तथा जन्म स्थान उदयपुर (राजस्थान)ही है। आपका उपनाम ‘नील’ है। हिन्दी में आपने पी-एच.डी. करके अजमेर शिक्षा विभाग को कार्यक्षेत्र बना रखा है। आपका निवास स्थल अजमेर स्थित जौंस गंज है। सामाजिक रुप से भा.वि.परिषद में सक्रिय और अध्यक्ष पद का दायित्व भार निभा रही हैं। अन्य सामाजिक संस्थाओं में भी जुड़ाव व सदस्यता है। आपकी विधा-अतुकांत कविता,अकविता,आशुकाव्य और उन्मुक्त आदि है। आपके अनुसार जब मन के भाव अक्षरों के मोती बन जाते हैं,तब शब्द-शब्द बना धड़कनों की डोर में पिरोना और भावनाओं के ज्वार को शब्दों में प्रवाह करना ही लिखने क उद्देश्य है।