ख़ुद जीवन का रिपु मनुज

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** जीवन का रिपु मनुज,खड़े मौत आगाज। बिन मौसम छायी घटा,वायु प्रदूषित आजll भागमभागी जिंदगी,बढ़ते चाहत बोझ। सड़क सिसकती जिंदगी,वाहन बढ़ते रोज॥ चकाचौंध उद्यौगिकी,नभ…

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कर प्रयास

कृष्ण कुमार कश्यप गरियाबंद (छत्तीसगढ़) ************************************************************************** मत कर बात निराशा की, प्रयास करना आज़ सीख। हौंसले रूपी क़लम से तू, जीवन की परिभाषा लिख। शंका और चिंता,है दीमक, दिमाग में…

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सोच सको तो सोचो

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** गिलगित,बाल्तिस्तान हमारा है हमको लौटाओ, वरना जबरन ले लेंगे मत रोओ-मत चिल्लाओ। खून सने कातिल कुत्तों से जनता नहीं डरेगी, दे दो,वरना तेरी छाती पर…

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कल को बदलो आज में

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** यह कल देगा कल नहीं,अतः देखिये आज। यायावर सच कर्मपथ,बनो सुयश सरताज॥ सार्थवाह ख़ुद का बनो,नीति-प्रीति सम्मान। करो विवश तकदीर को,पूरा हो अरमान॥…

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कायदा तो है नहीं

राजेश पड़िहार प्रतापगढ़(राजस्थान) *********************************************************** बढ़ रहे हैं भाव लेकिन फायदा तो है नहीं। भेड़ की हम चाल चलते कायदा तो है नहीं। बस गिरे औ उठ रहे हैं आज शेयर…

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अर्घ्यदान

अरुण कुमार पासवान ग्रेटर नोएडा(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************* दान प्रकृति है मनुष्य की, वह दान करता है,करना चाहता है। सुख पाता है दान कर के,कुछ भी; अपनी औकात के अनुरूप, जो हो…

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अमर विचार हो तुम

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’ बूंदी (राजस्थान) ****************************************************************** आजाद भारत के बिखराव में, एकता के बने सूत्रधार हो तुम। फौलाद इरादों से अटल रहे हो, लौह पुरुष सरदार हो तुमll…

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इज़्ज़त की रोटी

अरुण कुमार पासवान ग्रेटर नोएडा(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************* रोटी के टुकड़ों से पेट समझौता कर सकता है, पेट की आग नहीं। वो शोलों में तब्दील होने लगती है, इंतज़ार करने लगती है…

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जाल में फँसा खुद आदमी

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** आदमी क्यों आदमी से दूर है, स्वार्थ के हाथों बहुत मजबूर है। मोह में फँसकर महाभारत रचा, फल मिला तो क्यों गमों में चूर है।…

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रोशनी बन जगमगाओ

रूपेश कुमार सिवान(बिहार)  ******************************************************** प्यार का दीपक ज़लाओ इस अंधेरे में, रुप का जलवा दिखाओ इस अंधेरे में। दिलों का मिलना दिवाली का ये पैगाम, दूरियाँ दिल की मिटाओ इस…

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