माँ का आशीर्वाद

रोहित मिश्रप्रयागराज(उत्तरप्रदेश)*********************************** माँ का प्यार,माँ का दुलार,है सबसे अनमोल,कष्ट मिटाते हैं सभी,माँ के सारे बोल। नैन भरे हैं नेह से,कर रही दुलार,दूर से बुलाएँ माँ,लुटा रही है प्यार। माँ की ममता मुझे मिली,माँ तेरी मुस्कान,माँ मंगल माहेश्वरी,मेरी माँ महान। करूँ समर्पण मैं सदा,माँ मिलना हर बार,मंदिर-मस्जिद हो तुम्हीं,तू ही मेरा संसार। नौ माह संभाला कोख … Read more

हम ही तो हैं दोषी

मधु मिश्रानुआपाड़ा(ओडिशा)******************************** पर्यावरण दिवस विशेष… हमने ही तो छीन ली है दृढ़ता पूर्वक हरियाली,कांक्रीट के जंगल बन रहे और गुम हो रहे माली।यही देख मौसम के भी अब बदलने लगे मिजाज़-हवाएँ भी तो अब शुद्ध नहीं है होती जा रही काली…॥ परिचय-श्रीमती मधु मिश्रा का बसेरा ओडिशा के जिला नुआपाड़ा स्थित कोमना में स्थाई रुप … Read more

आपदा में नहीं,मानवता में अवसर तलाशें

रोहित मिश्रप्रयागराज(उत्तरप्रदेश)*********************************** आज पूरा विश्व ‘कोरोना’ महामारी से त्रस्त है।महामारी में जहाँ लोग एक-दूसरे की मदद करते हुए दिखाई दे रहे हैं,वही कुछ लोग इसमें भी अवसर तलाश रहे हैं। कहने का आशय यह है कि महामारी में कुछ लोगों में मानवता मर-सी गर्ई है। इस महामारी के समय कालाबाजारी,जमाखोरी व मुनाफाखोरी चरम पर है। … Read more

ज़िंदगी की जंग

डॉ. आशा मिश्रा ‘आस’मुंबई (महाराष्ट्र)******************************************* पतंग-सी हो गई है ज़िंदगी,जानती है,जब तक ऊँचाई हैबस तब तक वाहवाही है,पर उड़ने की चाह है इतनीकि कटने की परवाह नहीं…। हमारे बदलते लहजे से तो,नाराज़ होने लगते हैं लोगकभी नहीं सोचते,न जानते,कि हाल कैसा है हमारासमझना चाहते ही नहीं लोग…। जीवन के हर एक मोड़ पर,ख़ुशियों की परवाह … Read more

सरकारी विद्यालय बेहतर बनाम निजी

रोहित मिश्रप्रयागराज(उत्तरप्रदेश)*********************************** ये हमेशा वाद-विवाद का प्रश्न रहा है कि सरकारी विद्यालयों की पढ़ाई निजी विद्यालयों से बेहतर क्यों नहीं होती है। सरकारी विद्यालयों में निजी विद्यालयों से कम सुविधाएं क्यों उपलब्ध रहती है ?दरअसल,सरकारी विद्यालय वो होते हैं,जिन पर पूरा नियंत्रण सरकार का होता है। यानि बच्चों केपाठ्यक्रम से लेकर अध्यापक की नियुक्ति भी … Read more

मेला और तुलसी का पौधा

रोहित मिश्रप्रयागराज(उत्तरप्रदेश)*********************************** बात उन दिनों की है जब मेरी उम्र लगभग १२-१४ वर्ष रही होगी। हमारे प्रयागराज में हर साल माघ मेला लगता है। हम संयुक्त परिवार में ही रहते थे। मेरी चचेरे भाई से बहुत पटती थी। अब भी पटती है। हम दोनों बाहर साथ साथ ही आते-जाते थे। जनवरी-फरवरी में हमारे प्रयागराज में … Read more

अम्मा

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… ‘अम्मा’, ऑफिस में काम करने वाली साठ-बांसठ की बुजर्ग महिला,जिसे सब ‘अम्मा’ कह कर बुलाते थे। झुकी हुई कमर,झुर्रियों वाला पोपला मुँह,गहरा- सुर्ख लाल सिंदूर,चेहरे पर बड़ी बिन्दी,हाथों में कांच की चूड़ियाँ और पैरों में पायल…ऐसा था अम्मा का बाहरी व्यक्तित्व।अंदर से कभी मैं उन्हें जान नहीं पाई।‘अरे! … Read more

एक दिन खो जाऊँगा

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** प्रीत का सागर हूँछलक जाऊँगा नीर की तरह,अनजान गीतों का साज हूँबजता रहूँगा घुँघरुओं की तरह। एक दिनखो जाऊँगा मैं,धुंध बन करइन बादलों के संग में। मेरे शब्दजिन्दा रहेंगे फिर भी,खुशबूओं-सी रच,साँसों के हर तार में। बातें मेरीगूँजेगी शहनाईयों-सी,अंकित होकरदिलों की जज्बात में। सदाएँ मेरीहवा का झौंका बन,बिखर जाएंगीविस्मृति की दीवार … Read more

अपना-अपना घोंसला

डॉ.अर्चना मिश्रा शुक्लाकानपुर (उत्तरप्रदेश)*************************************** घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… गाय भी रंभाती हुई अपने बच्चों पर ममता और प्यार लुटाने को खूँटे तक पहुँचती है,चिड़िया भी घोंसला बनाती है और बच्चों के लिए खाना-पानी जुटाती है। जंगल का राजा शेर भी विश्राम हेतु म्यांद बनाता है,न जाने कितने पशु-पक्षी अपने लिए खोह और बिल बनाते हैं यानी … Read more

ऊँची सोच

रोहित मिश्रप्रयागराज(उत्तरप्रदेश)*********************************** रवि-‘अरे यार क्या पढ़ाई कर रहे हो ? आज तो मास्टर जी भी नहीं आए हैं।’सुनील-‘ऐसे ही किताब देख रहा था।’रवि-‘अरे यार ज्यादा पढ़ाई करने से क्या फायदा ? बस सरकारी नौकरी मिल जाए बस…भले ही वो चपरासी की ही क्यों न हो…!’बगल में सीनियर विद्यार्थी खड़ा था,तो सुनील ने रवि से कहा,-‘आओ … Read more