निखर कर वो उभर आती है
रोहित मिश्र,प्रयागराज(उत्तरप्रदेश)*********************************** उतारो जिस क्षेत्र में उसको,निखर कर वो उभर आती है।तप कर वो सोना-चाँदी,ममता की मूरत कहलाती है। समझो मत उसको अबला की मूरत,शक्ति का रूप दिखलाती है।हर बच्चे की पहली शिक्षाउसके बिन,अधूरी समझी जाती है। नारी बिन है नर अधूरे,शक्ति बिन है,शिव अधूरे।फिर भी मानव की आँखें घूरे,अभी भी संभल जा,ओ जमूरे। हर … Read more