रोहित मिश्र,
प्रयागराज(उत्तरप्रदेश)
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किसी भी देश का संविधान उसकी रीढ़ के समान होता है। हर देश का एक संविधान होता है,जिसके अनुसार उस देश की व्यवस्था चलती है। सार्वजनिक नियम कानून को ही संविधान की संज्ञा दी जाती है। संविधान वैसे तो सभी देशों में होता है, परन्तु लोकतांत्रिक देशों में संविधान देश के लिए आक्सीजन समान होता है। उसी प्रकार हमारे देश का भी संविधान हमारे लिए आक्सीजन समान है। इसके बिना हमारे देश की एकता,अखण्डता और विविधता की कल्पना बेमानी होगी। वही चीज अधिक खूबसूरत होती है,जिसमें विविधताओं का समागम होता है। इसी प्रकार हमारे संविधान में अनेक मतों-विचारधाराओं का समागम है।
हमारे देश के संविधान को बनने में २ साल ११
महीने और १८ दिन लगे। तब जाकर २६ नवंबर १९४९ को वो बनकर तैयार हुआ। इसी कारण हर साल २६ नवंबर को ‘संविधान दिवस’ के रुप में मनाया जाता है। संविधान के बनने में बाबा साहेब आम्बेडकर का विशेष योगदान था।
हम पड़ोसी देश नेपाल को ही ले लीजिए,वहाँ राजशाही खत्म होने के बाद से २ बार संविधान लिखा जा चुका है,तो पड़ोसी पाकिस्तान में संविधान सिर्फ देखनेभर के लिए है।
भारत का ही संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है,जिसके अनुसार ही देश की व्यवस्था चल सकती है। आजादी के बाद से कर्ई बार देश के संविधान को खत्म करने का प्रयास किया गया, परन्तु हर बार विरोधियों को असफलता हाथ लगी।
संविधान से ऊपर अपने-आपको समझने वालों का पतन निश्चित हुआ है। इतिहास इस बात का गवाह भी है,क्योंकि संविधान के साथ पूरे देश की दुआएँ है। उसके साथ देश के लोगों का भावनात्मक लगाव है।
आज संविधान की देन से ही हम विकसित भारत का सपना देख सकते हैं,क्योंकि संविधान की वजह से ही अलग-अलग क्षेत्र,धर्म और जाति के लोगों में एकता की भावना है। आज का उभरता हुआ भारत संविधान की वजह से ही है।