नारी के बिना कुछ मूल्य नहीं
डॉ.अर्चना मिश्रा शुक्लाकानपुर (उत्तरप्रदेश)*************************************** वैदिक युग में वह विदुषी थी,औ आदिकाल की वीरमतीकभी वीरमती-कभी कामिनी बन,बस यही रुप दिखलाती थी।फिर भक्तिकाल आते-आते,उसको फिर भक्ति के भाव दिएसूर की भक्ति में वत्सलता,औ तुलसी की भक्ति में त्यागमयी।फिर रीतिकाल आने पर वह,मदमस्त विलास की वस्तु बनीउसमें बस रति का रुप दिखा,अभिसारिका रुप दिखाते थे।स्वातन्त्र्यकाल आते-आते,सबला बन रुप … Read more