आत्म निर्भर

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’ सोलन(हिमाचल प्रदेश) ******************************************************************* एक कुख्यात डॉन ने, ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजना का यूँ पालन किया, अपने लिए नोट छापने का काम चालू किया। और अपनी, अवैध हथियार फैक्ट्री को सुचारू रूप से, चलाने के लिए बैंक में ऋण के लिए आवेदन दिया। रिज़र्व बैंक ने, जारी किया है फरमान, कि आत्मनिर्भर बनने … Read more

तेरी कहानी ढूँढता हूँ!

गोपाल मोहन मिश्र दरभंगा (बिहार) ******************************************************************************** वक्त के अखबार में तेरी कहानी ढूँढता हूँ। उम्र के इस आइने में इक निशानी ढूँढता हूँ। दौर मिट जाएँ भले मिटते नहीं जज्बात दिल के, ले चले उस दौर में फिर वो रवानी ढूँढता हूँ। जब तेरी महफ़िल में लुटकर दूर बैठा रौशनी से, रात के साये तले … Read more

`आत्मनिर्भर भारत` के सपने और चुनौतियां

गोपाल मोहन मिश्र दरभंगा (बिहार) ******************************************************************************** प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने `कोरोना` प्रकोप से त्रस्त,आर्थिक नजरिए से ध्वस्त और अंतर्मन से जले-भुने भारतवासियों के लिए २० लाख करोड़ रुपए के जिस आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है,वह बदलते वक्त के लिहाज से दूरदर्शितापूर्ण कदम है। साथ ही जितनी चतुराई से उन्होंने स्थानीय को आवाज यानि `लोकल … Read more

माँ,मुझे माफ कर दो…

गोपाल मोहन मिश्र दरभंगा (बिहार) ******************************************************************************** ‘अन्तर्राष्ट्रीय मातृत्व दिवस’ १० मई विशेष………. माँ के बार-बार मना करने के बाद भी एक दिन लोकेश के मामा ने अपनी बहन को मोबाइल फ़ोन उपहार स्वरुप दे दिया। अब मोबाइल फ़ोन हाथ में पकड़ कर माँ उलझन में पड़ गयी,क्योंकि उन्हें तो मोबाइल के बारे में कुछ भी … Read more

आदत

गोपाल मोहन मिश्र दरभंगा (बिहार) ******************************************************************************** कभी-कभी यूँ ही अकेला, निकल जाता हूँ मैं वहाँ जहाँ तनहाईयाँ हो, जहाँ वक्त ठहरा हुआ सा लगे जहाँ भीड़ हो दरख्तों की, खुशबूएँ हो फूल-पत्तियों की नदियों के कल-कल शोर में भी, खामोशियों के भंवर खुले जहाँ। अच्छे तो लगते हैं, गूँजते सन्नाटे पहाड़ों के मगर ऊब जाता … Read more

स्वर्ग

गोपाल मोहन मिश्र दरभंगा (बिहार) ******************************************************************************** जहाँ जमीं आसमां मिलते होंगें, जहाँ चारों दिशाओं की दीवारें गिर जाती होंगीं, जहाँ बादलों पर सोते होंगें लोग जहाँ तारों पर चलते होंगें लोग, जहाँ चाँद पर पिकनिक होती होगी सूरज का अलाव तापा जाता होगा, इन्द्रधनुष जहाँ बच्चों का कोलंबस होगा राहू-केतु खिलौने होंगें, जहाँ प्रेम होगा … Read more

तालाबंदी:धरती की ‘संजीवनी’

गोपाल मोहन मिश्र दरभंगा (बिहार) ******************************************************************************** वैसे तो पिछले कई सालों से पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रयास हो रहे थे,परंतु ज्यादातर सिर्फ औपचारिक थे। ‘कोरोना’ ने कहर बरपाया तो लोग घरों में कैद होने को मजबूर हो गए। सभी गतिविधियाँ ठप हो गईं और जन-जीवन अस्त व्यस्त हो गया। जहाँ एक तरफ पूरे विश्व को … Read more

सामाजिक संबंध और जाल

गोपाल मोहन मिश्र दरभंगा (बिहार) ******************************************************************************** सामाजिक सम्बन्ध और दूरी स्पर्धा विशेष……….. समाज’ सामाजिक संबंधों का जाल है, अब प्रश्न यह है- क्या आजकल के टूटते रिश्तों से, किसी को मलाल है ? आज तो हर इंसान की बिगड़ी हुई चाल है… कहा तो यहाँ तक जाता है कि, परिवार में बड़े-बुजुर्गों की अब बच्चों के … Read more

सामाजिक संबंध

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’ सोलन(हिमाचल प्रदेश) ******************************************************************* सामाजिक सम्बन्ध और दूरी स्पर्धा विशेष……….. सामाजिक संबंध और दूरी, शब्दों में है विरोधाभास… पर इस वक़्त है जरूरी। दूरियाँ होने से नहीं, बनते हैं सामाजिक संबंध ‘कोरोना’ को हराने के लिये, किया है ऐसा प्रबंध। यदि दिल से जुड़े हों संबंध, तो नहीं आड़े आती है दूरी पर … Read more

मत भूलो अपनी संस्कृति

गोपाल मोहन मिश्र दरभंगा (बिहार) ******************************************************************************** कल रात सपने में आया ‘कोरोना’… उसे देख जो मैं डर गया, तो मुस्कुरा के बोला-‘मुझसे डरो ना।’ उसने कहा-‘कितनी अच्छी है तुम्हारी संस्कृति, न चूमते,न गले लगाते दोनों हाथ जोड़ कर हो स्वागत करते। मुझसे डरो ना… कहाँ से सीखा तुमने ? रूम स्प्रे,बॉडी स्प्रे, पहले तो तुम … Read more