विवश दिल

गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ रिसते हुए दिल से पूछा- कैसे चुभा है अपना ही काँटा, कैसे निकालूं उसे ? दोनों ही हैं अपने, कैसे सहूं यातना! फंस कर ममता के भँवरों के जाल में- डूबे हुए माया के रसों से, बोए थे काँटे अपने ही सीने में। अब,काँटे तो चुभेंगे अपने ही स्वभाव … Read more

याद आते हैं वो दिन

गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ ‘बड़े दिन की छुट्टी’ स्पर्धा  विशेष……… स्कूल की छुट्टी मिलती थी उस दिन बालक था मैं,सुनता था आ गया है ‘बड़ा दिन’, न जाने क्यों बहुत याद आते हैं वह दिन- केक का स्वाद मीठा लगता था उस दिन। दो पैसे से मिलता था केक,याद आते हैं वो दिन … Read more

प्रेमावतार यीशु

गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ कंटीली राह में चल रहे हैं आप, सिर पर काँटो भरा ताज भूखा-प्यासा होकर होकर भी, ढो रहे हैं ख़ुद का मारन साजl चुभ रहे है काँटे पद तल पर- क्षत-विक्षत आप,फिर भी नहीं फिकर सहते हुए असीम यन्त्रणा, ईश्वर से जारी है आपकी प्रार्थना- “नादान है,इन्हें कीजिए क्षमा,हे … Read more

मानवतावादी सतनाम धर्म के प्रबल पक्षधर रहे गुरु घासीदास

गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ १८ दिसम्बर जन्म विशेष…………. विश्व के रचनाकर्ता सर्वजीव में प्राणदाता निरंतर विराजमान निराकार सर्वशक्तिमान परम ब्रह्म ही परम सत्य है। एक निराकार शक्ति! उनका नाम ही `सतनाम!` एक ही परमेश्वर को साधन तप द्वारा साधक व सत्य दृष्टाओं ने एक भाव से भिन्न-भिन्न पथ को अवलम्बन करते हुए मानव … Read more

हे दयामय रसराज

गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ हे प्याज,हे रस सागर, विख्यात हैं आप भूमण्डल में जिनको मिला है स्वाद वही जाने- मूल्य आपका रतनों से परे। अति उज्ज्वल वर्ण है आपका, सुपुष्ट है देह कांति जब खिलते हैं आपके फूल- वह भी बड़ी स्वादिष्ट,नाम जिसका प्याज कली। है महासाधक,महाज्ञानी, माया के जग में मायाहीन आप … Read more

माफ करो,शर्मिन्दा हूँ

गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ हैदराबाद घटना-विशेष रचना………. हे प्रणम्य ईश्वरचन्द्र विद्यासागर जी- अच्छा ही हुआ,आज आप नहीं रहे, नहीं तो अश्रुसिक्त नयन से आप बोले होते- संघर्ष भूल था नारियों को स्वाबलंबी करने का, जरूरत नहीं है आज नारी शिक्षा की जरूरत नहीं है नारियों का स्वावलंबी होने कीl आप जरूर बोलते-रह जाओ … Read more

`अग्निशिशु` रहे शहीद खुदीराम बोस

गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ जन्म दिवस-३दिसम्बर १८८९ विशेष………… भारतमाता की वीर सन्तान शहीद खुदीराम बोस (बंगाली उच्चारण में क्षुदीराम बोस) को श्रद्धांजलि अर्पण…। भारतमाता की महान आत्मत्यागी वीर सन्तान शहीद खुदीराम बोस,जिन्होंने भारत की स्वतन्त्रता के आन्दोलन में पराधीनता की ग्लानि से देश को मुक्त कराने के लिए अपने को अर्पित कर दिया। … Read more

अटूट विज्ञानी रहे आचार्य जगदीश चन्द्र बसु

गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ भारत व विश्व के महान वैज्ञानिक, रेडियो के जनक तथा भौतिक शास्त्र,जीव विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, पुरातत्वविद,बहु शास्त्र में ज्ञानी,विज्ञान विषयक लेखक,सी.एस.आई, सी.आई.ई.एफ.आर.एस.भारत का पहला विज्ञानी जिनको अमेरिकन पेटेन्ट मिला। ‘नाइट’ उपाधि से सम्मानित,रायल सोसायटी लंदन के फैलो डॉ. जगदीश चन्द्र बसु को श्रद्धापूर्ण प्रणाम। अति साधारण प्रयोगशाला एवं अल्प … Read more

हे विधाता,मैं भी बच्चा हूँ

गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष……….. बाल हूँ मैं,तेरा प्यारा लाल नन्हा,कान्हा चंचल भोला, हूँ मैं गीला जैसे मिट्टी का ताल- जैसे बनाओगे वैसे ही बनूँगा। अनचाहत हूँ मैं,बेसहारा छोड़ जाते हैं छिप कर माँ-बाप, सड़क किनारे,बनाकर मुझे आवारा- बताए विधाता,यह आशीर्वाद या अभिशाप ? कौन है माँ-बाप,नहीं है ठिकाना … Read more

व्यथित दीप

गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ उत्सव-अनुष्ठानों में, मंगलदीप नाम से मुझे बिठाया था पूजा स्थान में- तुमने,श्रद्धा सुमन दिल से। आनन्द विभोर मैं, खुशी से नाचे मेरा शिखा हावया के- ताल तालों से, बिखरकर रश्मि तुम्हारें आँगन में। जला मेरा मुँह अग्निताप से- फिर भी,स्नेहाशीष दिया हूँ, तहे दिल से-सदा विराजे सुख-शांति तेरे संसार … Read more