विवश दिल
गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ रिसते हुए दिल से पूछा- कैसे चुभा है अपना ही काँटा, कैसे निकालूं उसे ? दोनों ही हैं अपने, कैसे सहूं यातना! फंस कर ममता के भँवरों के जाल में- डूबे हुए माया के रसों से, बोए थे काँटे अपने ही सीने में। अब,काँटे तो चुभेंगे अपने ही स्वभाव … Read more