कोरोना:आम आदमी और करूणा…

तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** भयावह रोग `कोरोना` से मैं भी बुरी तरह डरा हुआ हूँ,लेकिन भला कर भी क्या सकता हूँ! क्या घर से निकले बगैर मेरा काम चल सकता है! क्या मैं बवंडर थमने तक घर पर आराम कर सकता हूँ…,जैसा समाज के स्रभांत लोग कर रहे हैं। जीविकोपार्जन की कश्मकश … Read more

`बंबई` के `मुंबई` बनने तक बहुत कुछ बदला…..

तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** `बंबई` के `मुंबई` बनने के रास्ते शायद इतने जटिल और घुमावदार नहीं होंगे,जितनी मुश्किल मेरी दूसरी मुंबई यात्रा रही…l महज ११ साल का था,जब पिताजी की अंगुली पकड़ कर एक दिन अचानक बंबई पहुंच गया…l विशाल बंबई की गोद में पहुंच कर हैरान था,क्योंकि तब बंबई किंवदंती की … Read more

ट्रेन और शौचालय…!!

तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** ट्रेन के शौचालय(टॉयलेट्स) और यात्रियों में बिल्कुल सास-बहू-सा संबंध है। पता नहीं, लोग कौन-सा असंतोष इन शौचालय पर निकालते हैं। आजादी के इतने सालों बाद भी देश में चुनाव शौचालय के मुद्दे पर लड़े जाते हैं। किसने कितने शौचालय बनवाए,और किसने नहीं बनवाए,इस पर सियासी रार छिड़ी रहती … Read more

शेरू का पुनर्जन्म…!

तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** कुत्ते तब भी पाले जाते थे,लेकिन विदेशी नस्ल के नहीं। ज्यादातर कुत्ते आवारा ही होते थे,जिन्हें अब `स्ट्रीट डॉग` कहा जाता है। गली- मोहल्लों में इंसानों के बीच उनका गुजर-बसर हो जाता था। ऐसे कुत्तों के प्रति किसी प्रकार का विशेष लगाव या नफरत की भावना भी तब … Read more

रेल यात्रा या जेल यात्रा…!

तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** ट्वीटर से समस्या समाधान के शुरूआती दौर में मुझे यह जान कर अचंभा होता था कि महज किसी यात्री के ट्वीट कर देने भर से रेल मंत्री ने किसी के लिए दवा तो किसी के लिए दूध का प्रबंध कर दिया। किसी दूल्हे के लिए ट्रेन की गति … Read more

चमत्कार है तो नमस्कार है…

तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** डयूटी के दौरान लोगों के प्रिय-अप्रिय सवालों से सामना तो अमूमन रोज ही होता है,लेकिन उस रोज आंदोलन पर बैठे हताश-निराश लोगों ने कुछ ऐसे अप्रिय सवाल उठाए,जिसे सुन कर मैं बिल्कुल निरूत्तर-सा हो गया, जबकि आंदोलन व सवाल करने वाले न तो पेशेवर राजनेता थे,न उनका इस … Read more

जब यादगार बन जाए अनचाही यात्राएं..

तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** जीवन के खेल वाकई निराले होते हैं। कई बार ऐसा होता है कि ना-ना करते हुए भी आप वहां पहुंच जाते हैं,जहां जाने को आपका जी नहीं चाहता जबकि अनायास की गई ऐसी यात्राएं न सिर्फ सार्थक सिद्ध होती हैं,बल्कि यादगार भी। जीवन की अनगिनत घटनाओं में ऐसी … Read more

तारकेश्वर:गरीबों का अमरनाथ

तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** पांच,दस,पंद्रह या इससे भी ज्यादा…। हर साल श्रावण मास की शुरूआत के साथ ही मेरे जेहन में यह सवाल सहजता से कौंधने लगता है। संख्या का सवाल श्रावण में कंधे पर कावड़ लेकर अब तक की गई मेरी तारकेश्वर की पैदल यात्रा को लेकर होता है। आज भी … Read more

भूख-प्यास की क्लॉस…

तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** क्या होता है जब हीन भावना से ग्रस्त और प्रतिकूल परिस्थितियों से पस्त कोई दीन-हीन ऐसा किशोर महाविद्यालय परिसर में दाखिल हो जाता है,जिसने मेधावी होते हुए भी इस बात की उम्मीद छोड़ दी थी कि अपनी शिक्षा -दीक्षा को वह कभी महाविद्यालय के स्तर तक पहुंचा पाएगा। … Read more

हावड़ा-मेदिनीपुर की लास्ट लोकल….

तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** महानगरों के मामले में गांव-कस्बों में रहने वाले लोगों के मन में कई तरह की सही-गलत धारणाएं हो सकती हैं,जिनमें एक धारणा यह भी है कि देर रात या मुँह अंधेरे महानगर से उपनगरों के बीच चलने वाली लोकल ट्रेनें अमूमन खाली ही दौड़ती होंगी। पहले मैं भी … Read more