नयन से नीर

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* ख़ुशी-ख़ुशी जब गले मिले हम, तब भी बहते नयन से नीर। गम में भी तड़पें जो कभी हम, तब भी बहते नयन से नीर।…

0 Comments

बेरोजगार

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* बोझ हूँ धरती का अब लगने लगा है। ना समय ठहरा है, मेरे वास्ते और ना दर किसी का है खुला। देखते मुझको ही,…

0 Comments

एक तेरा साथ

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* एक तेरा तो साथ मुझे ही, सारे जहां से प्यारा है। रूह का रिश्ता हम दोनों का, इसीलिए तो न्यारा है। हर पल-हर क्षण…

0 Comments

चाँदनी

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* तुम चाँदनी में नहा करके आई हुई हो, ख़ुदा की कसम क्या गज़ब ढा रही हो। गालों को चूमें ये जुल्फें जो तेरी, हौले…

0 Comments

उपहार

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* ईश्वर ने जब इंसान को भेजा, धरती पर तो दिए अनन्त उपहार। ये धरती को स्वर्ग बनायेगा, और करेगा उसे भरपूर प्यार। उसने भी…

0 Comments

अंतिम सफ़र

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* कभी ज़िंदगी के मेले देखे, कभी ग़मों के रेले देखे। जिंदगी के रंग हैं कई, कभी फीके,कभी तीखे देखे। ओ ओ ओ ओ ???…

0 Comments

रस्में

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* रस्मों की जंजीरों से, हम सब हैं यूँ बंधे हुए। प्रीत के धागे में हों जैसे, फूल रंग-बिरंगे गुथे हुए। रस्मों-रिवाजों से समाज, आगे…

0 Comments

तोहफ़ा

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* तोहफ़े में लाया दिल हूँ, जरा कबूल कीजिये। धड़कन तुम्हीं हो इसकी, ये जान लीजिए। जब सीमा पर हो दुश्मन, ललकारता हमें। तोहफ़े में…

0 Comments

माँ

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… जीवन की पाठशाला की, सर्वोत्तम एकेडमी है माँ। शरीर में हम सबकी, रक्त-सी दौड़ती है माँ। जब समूचा ब्रह्मांड, उदघोष…

0 Comments

रातभर

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* नींद आई न मुझको यूँ तेरे बिना, करवटें मैं बदलती रही रातभर। आसमां भी झुक के आता है देखो, धरा से मिलन को यहाँ…

0 Comments