रो रहा है आसमां
पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** रो रही धरती अभी,रो रहा है आसमां, जल रहा सारा जगत,बुझती हर इक शमा। मौत का मंज़र यहाँ,ख़ौफ़ में सारा जहाँ, साँस सबकी थम रही,बढ़ रही धड़कन यहाँ। कैद घर में आदमी,मिल रही कैसी सजा ? बोल ईश्वर कह खुदा,क्या अभी तेरी रजा ? रोज़ बढ़ता आँकड़ा,मर रहा हर … Read more