अंत भला तो सब भला
तारा प्रजापत ‘प्रीत’रातानाड़ा(राजस्थान) ******************************************* मनुष्य जन्मकोई खेल नहीं है,जीवन जीना भीहै एक कला।कर भला औरों का,होगा तेरा भी भला।मिलेगी उसी को मंज़िल,जो जीवन पथ कीकठिन डगर पर,हिम्मत से है चला।बच जाएगा,हालात के तूफानों सेजो धीरज की,गोदी में पला।चूम लेगी सफ़लता,क़दम उसकेजो हर परिस्थिति के,सांचे में ख़ुद ढला।होंठों पर मुस्कान,शब्द मौन हो गएकर्म चक्र चलता रहे,हंगामा हो … Read more