तपती धरती

दिनेश कुमार प्रजापत ‘तूफानी’दौसा(राजस्थान)***************************************** धरती तपती देखी तो मानव घबरा गया,शिकायतों का पुलिंदा लेकर कैलाश पर्वत आ गया।कैलाश पर पार्वती संग बैठे थे भोले,मानव भोले से ऐसे बोले।बचा लो प्रभु अब नहीं सहन हो पाएगा,गर्मी इतनी बढ़ गई कि ‘ऐ.सी.’ भी फेल हो जाएगा।इतनी सुन भोले ने सूर्य देव को बुलवाया,सूर्यदेव कैलाश पर्वत आया और … Read more

प्यारे रंग में रंग दो सबको

दिनेश कुमार प्रजापत ‘तूफानी’दौसा(राजस्थान)***************************************** फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष… होली यह त्यौहार प्रेम का,मिलकर आओ हम खेलें।रंग दे बसंती चोला रंग से,गलियों में टोली मेले॥ भेद भाव को छोड़ो भैया,सबको गले लगाओ रे।प्यारे रंग में रंग दो सबको,होली रोज मनाओ रे॥ प्रेम रंग में बस जाओ तुम भी,राधे-श्याम याद कर लो।गोकुल की होली का … Read more

श्रेया

अंशु प्रजापतिपौड़ी गढ़वाल(उत्तराखण्ड)**************************************** सारे काम निपटा कर जब थकी-हारी रात को आँखें बंद करने की सोचती हूँ तो यूँ ही कई बार अनायास ही कई स्मृतियाँ,कई चेहरे सिरहाने आकर खड़े हो जाते हैं। थकान से चूर मैं उनींदी-सी कितना भी प्रयास करूँ,एक निश्चित अन्तराल के बाद दो-तीन रातें मेरी,उन स्मृतियों में विलीन हो ही जाती … Read more

आरंभ तुम ही

अंशु प्रजापतिपौड़ी गढ़वाल(उत्तराखण्ड)************************************************ काव्य संग्रह हम और तुम से… मेरी नज़र ठहर जाती है,जब अक्स तुम्हारा आता है।दिल की धड़कन रुक जाती है,जब ज़िक्र तेरा आ जाता है। थम जाऊं कुछ पल जो सोचूँ,खींच मुझे तू ले जाता है।बातें तुम्हारी नाम तुम्हारा ,हर वक़्त ज़हन में आता है। महसूस तुम्हें कर लूं मन से तो,प्रतिअंग … Read more

माधवी,अब तो बता दे…

अंशु प्रजापतिपौड़ी गढ़वाल(उत्तराखण्ड)************************************************** मेरा अज्ञान कई बार मुझे शर्मिंदा करता है, कुछ किस्से हैं जिनके अंत आज तक समझ नहीं पाती..क्या हर भाव को सिर्फ एक ही कसौटी पर कसा जा सकता है ? क्यों इतनी स्वच्छंदता मानव स्वभाव में नहीं है कि बिना न्यायोचित ठहराए,बिना सही-गलत का मूल्यांकन किए हम हृदय में उमड़ते भावों … Read more

मास्साब

अंशु प्रजापतिपौड़ी गढ़वाल(उत्तराखण्ड)********************************************************* आज फ़िर वैसी ही ओलावृष्टि है,वही असमय की वर्षा,परंतु आज मन उतना प्रफुल्लित नहीं है। १ माह से अधिक हुआ,मैंने पिता जी को खो दिया है। ऐसे में दो शब्द मेरे मस्तिष्क में रह-रहकर गूंज रहे हैं राम-राम सा…lयही प्रथम परिचय था मेरा उनसे। आज से लगभग १७ वर्ष पूर्व जब मेरी … Read more

हम भारतवासी,दुर्लभ संस्कृति

अंशु प्रजापतिपौड़ी गढ़वाल(उत्तराखण्ड)**************************************************************** स्वर्णिम इतिहास,पावन मिट्टीगीता,रामायण और मनुस्मृति,कृष्ण राम नानक यहाँ हैं…ऐसी दुर्लभ मेरी संस्कृति। पृथ्वी,प्रताप,भगतसिंह हैं जहांआज़ाद,बिस्मिल और गांधी भी हैं,गौरव भूमि जो कहते इसको…बोलो क्या है इसमें अतिश्योक्ति ? तुलसी कबीर रहीम यहां हैंमीरा हैं तो रसखान यहाँ हैं,अज़ान,गुरूवाणी,भजन से…यहां की हर प्रातः महकती। स्वच्छ धरा,नीलाभ-सा अम्बरहरियाली,पर्वत,घाटी,बंजर,अजब-गजब से मेल यहाँ हैं…यह देख विश्व … Read more

मानसिक संघर्ष और नारी

अंशु प्रजापतिपौड़ी गढ़वाल(उत्तराखण्ड)**************************************************************** ‘कोरोना’ महामारी के चलते एक स्व प्रेरित वेबिनार हमारे कुछ शिक्षक बंधुओं के माध्यम से आयोजित की गई,जिसमें मुझे प्रतिभाग का सुअवसर प्राप्त हुआ ।प्रतिदिन नए विषय पर चर्चा होनी थी,जिसमें एक दिन निर्धारित था जीवन और आध्यात्म के लिए। उस दिन जो चर्चा हुई,वो वास्तव में अदभुत थी। आयोजकों और प्रतिभागियों … Read more

तेरे नाम…

अंशु प्रजापतिपौड़ी गढ़वाल(उत्तराखण्ड)**************************************************************** कुछ गुस्ताखियाँ ऐसी हो रहीं हैं,मेरी तस्वीर तेरी आँखों में खो रही है।अब देख लो है तुम्हारी जो मर्ज़ी,मेरी साँसों की डोर तेरी एक नींद की अर्ज़ी।जब थक जाओ मेरी फरमाइशों से तुम,तो कर लेना पलकें बन्द हो जाएंगें हम भी ग़ुम।सिवा तुम्हारे याद आते भी हैं किसको हम ?ये देख लेना … Read more

प्रताप का शौर्य ‘एक रहस्य’

अंशु प्रजापति पौड़ी गढ़वाल(उत्तराखण्ड) **************************************************************** ‘महाराणा प्रताप और शौर्य’ स्पर्धा विशेष………. विद्यार्थी जीवन से ही मेरे लिए कुछ विषय बड़े ख़ास थे। गणित और भाषा मेरे प्रिय विषय रहे,परन्तु जब-जब गणित के कठिन दांव-पेंचों में फँस कर थक जाती थी अथवा संस्कृत के दुरूह श्लोक कंठस्थ करने में हार जाती थी,तो स्वयं को फ़िर से … Read more