अंशु प्रजापति
पौड़ी गढ़वाल(उत्तराखण्ड)
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स्वर्णिम इतिहास,पावन मिट्टी
गीता,रामायण और मनुस्मृति,
कृष्ण राम नानक यहाँ हैं…
ऐसी दुर्लभ मेरी संस्कृति।
पृथ्वी,प्रताप,भगतसिंह हैं जहां
आज़ाद,बिस्मिल और गांधी भी हैं,
गौरव भूमि जो कहते इसको…
बोलो क्या है इसमें अतिश्योक्ति ?
तुलसी कबीर रहीम यहां हैं
मीरा हैं तो रसखान यहाँ हैं,
अज़ान,गुरूवाणी,भजन से…
यहां की हर प्रातः महकती।
स्वच्छ धरा,नीलाभ-सा अम्बर
हरियाली,पर्वत,घाटी,बंजर,
अजब-गजब से मेल यहाँ हैं…
यह देख विश्व को हैरत होती।
वेद पुराण हों या उपनिषद
पुस्तकें यहां धुरी जीवन की,
ज्ञान ही आधार जिस देश का…
क्या कहने उसकी संस्कृति।
जिसे सीखना हो सीखे हमसे
धैर्य दया धर्म और उपकार,
घृणा हिंसा को स्थान नहीं है,
प्रेम की सदा स्वीकरोक्ति।
न तुम जानो तो दोष किसका
किन्तु न अनर्गल कुछ भी कहना।
धैर्य धरा-सा धारण करते,
साहस में ज्वाला हम भारतवासी॥
परिचय-अंशु प्रजापति का बसेरा वर्तमान में उत्तराखंड के कोटद्वार (जिला-पौड़ी गढ़वाल) में है। २५ मार्च १९८० को आगरा में जन्मी अंशु का स्थाई पता कोटद्वार ही है। हिंदी भाषा का ज्ञान रखने वाली अंशु ने बीएससी सहित बीटीसी और एम.ए.(हिंदी)की शिक्षा पाई है। आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन (नौकरी) है। लेखन विधा-लेख तथा कविता है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक-शिवानी व महादेवी वर्मा तो प्रेरणापुंज-शिवानी हैं। विशेषज्ञता-कविता रचने में है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“अपने देेश की संस्कृति व भाषा पर मुझे गर्व है।”