जिंदगी में…यह साल

प्रीति शर्मा `असीम`नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)************************************************ यह साल,बहुत ख़ास रहाजिंदगी की कड़वी यादों में,मीठी बातों का भी स्वाद रहाl यह साल बहुत ख़ास रहा,किन भरम में जी रहे थेआज तक…?उनसे जब,आमना-सामना हुआक्या कहूं…!जिंदगी में,इस साल,तुज़र्बों का एक काफ़िला-सा रहाlयह साल बहुत ख़ास रहा… कुछ के चेहरे से नकली नकाब उतरे,कुछ को छोड़कर,हर चेहरा दागदार रहाकुदरत ने हर … Read more

मुद्दे उठाए जाते हैं

प्रीति शर्मा `असीम`नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)********************************************************* मेरे देश में,मुद्दे उठाए जाते हैं।जिंदगी के असल सच से,लोगों के ध्यान हटाए जाते हैं। घटना को,घटना होने के बाददेकर दूसरा ही रुख।असल घटनाओं पर,पर्दे गिराए जाते हैं।मेरे देश में…मुद्दे… जिंदगी किन,हालातों में बसर करती है।पंचवर्षीय सरकारों में,अमीर-गरीब के मापदंडों मेंमध्यवर्ग को,बस वायदे ही थमाए जाते हैं।मेरे देश में…मुद्दे… जागें…असल पहचानिए,जो … Read more

‘कोरोना’ काल और शिक्षक

प्रीति शर्मा `असीम`नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)********************************************************* ‘कोरोना’ काल में घर में बंद होकर,सबको जिंदगी के अहम सबक याद आए।‘कोरोना’ काल में घर में बंद होकर,सड़कों पर भटकते मजदूरगरीब होने की सजा पा रहे थे।जिंदगी के अच्छे दिन आएंगे,यह नारे भी याद आ रहे थे।कोरोना ने कर दिया..क्या हाल,टी.वी. देख कर आँख में…कुछ के आँसू भी आ रहे … Read more

श्रद्धा ही श्राद्ध

प्रीति शर्मा `असीम`नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)*********************************************************** श्रद्धा ही श्राद्ध है,इसमें कहाँ अपवाद है। सत्य…सनातन सत्य,जो वैज्ञानिकता का आधार है…इसमें कहाँ अपवाद है,श्रद्धा ही श्राद्ध है। सत्य-सनातन संस्कृति पर,जो उंगलियां उठाते हैंइसे ढोंगी,ढपोरशंखी बताते हैंवो भरम में ही रह जाते हैंआधे सच से,सच्चाई तक…कहाँ पहुंच पाते हैं,श्राद्ध श्रद्धा और विश्वास है। यह निरीह प्राणियों की आस है,यह मानव … Read more

जिंदगी की हकीकत…

प्रीति शर्मा `असीम`नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)****************************************************************** ताज…के सामने,छाते में,दुकान सजाए बैठा है।वह एक आम आदमी है,हर किसी के,सपने को खास बनाए बैठा है। ताज के सामने,छाते में,दुकान से सजाए बैठा है।तस्वीरें बनाता है,ताज के साथ सबकीवह सबकी,एक खूबसूरत,यादगार सजाए बैठा है। वाह री…! कुदरत,जिंदगी की हकीकत…???मौत…कब्र में सोई है,जिंदगी…छाते के नीचे,अपनी दिहाड़ी के लिए रोई हैll परिचय-प्रीति … Read more

मूल्य चुकाना है

प्रीति शर्मा `असीम`नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)****************************************************************** स्वतंत्रता दिवस विशेष …….. स्वतन्त्रता के मायनों का मूल्य चुकाना है,आज हमें वेद आधारित देश बनाना हैगुलाम हुई हर सोच को,अंधविश्वासों की कारागार से बाहर लाना है। स्वतंत्रता के,मायनों का मूल्य चुकाना हैराम-कृष्ण के,आदर्शों का गुणगान भी गाना है। बाबर से अंग्रेजों तक के,इतिहास से एक सबक जगाना है फिर न … Read more

तू क्यों…नहीं बोलेगा…?

प्रीति शर्मा `असीम`नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)****************************************************************** बंद पड़ी सोच को,जब हिलाना ही नहीं हैखबर पढ़कर भी जब,आवाज़ उठाना ही नहीं हैटुकड़ा यह कागज का…रद्दी नहीं,तो…और क्या है ?कब तक,खुद को,दूसरे की आग से बचाओगेनफ़रतों की चपेट में,तुम भी तो आओगेयह बोलेगा…!वो बोलेगा…?गलत को गलत,कहने को भी इतना क्यों सोचेगातू क्यों…नहीं बोलेगा…?अच्छे समाज को कौन बनाएगा!कलयुग है,भाई कलयुग … Read more

जीवन है ‘शिव’

प्रीति शर्मा `असीम`नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)****************************************************************** शिव जीवन है,शिव मरण हैशिव सत्य है,शिव सनातन है। शिव ओ३म है,शिव वेद हैशिव विधान है,शिव गीत है। शिव नाद है,शिव धरा हैशिव व्योम है,शिव नदिया है। शिव महासागर है,शिव शिला हैशिव शिखर है,शिव रस है। शिव स्वाद है,शिव वन हैशिव मन है,शिव ज्ञान है। शिव विज्ञान है,शिव शक्ति हैशिव भाक्ति … Read more

प्रकाश-पुंज ‘गुरु’

प्रीति शर्मा `असीम`नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)****************************************************************** ‘गुरु’,जीवन कोजो उत्कृष्ट बनाता है।मिट्टी को,जो छू कर मूर्तिमान कर जाता है। बाँध क्षितिज रेखाओं में,नये आयाम बनाता है।जीवन को,जो उत्कृष्ट बनाता है।ज्ञान को,जो विज्ञान तक ले जाता है। विद्या के दीप से,ज्ञान की जोत जलाता है।अंधविश्वास के,समंदर को चीरनवीन तर्क के,साहिल तक ले जाता है। मानवता की पहचान से,जो परम … Read more

अजीब दुनिया है…तेरी

प्रीति शर्मा `असीम` नालागढ़(हिमाचल प्रदेश) ****************************************************************** समझ नहीं पाता हूँ, बन के धर्मात्मा गीता उपदेश सुनाती है। भीतर से, अपने मतलब को पूरा करने के लिए, शकुनि की तरह चालबाजियों की, बिसात सजाती है। दूसरे ही पल, बुरा नहीं करना लम्बा भाषण दे जाती है। फिर कानों में, कानों से कितनी बातें कह जाती है। … Read more