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‘कोरोना’ काल और शिक्षक

प्रीति शर्मा `असीम`
नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)
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‘कोरोना’ काल में घर में बंद होकर,
सबको जिंदगी के अहम सबक याद आए।
‘कोरोना’ काल में घर में बंद होकर,
सड़कों पर भटकते मजदूर
गरीब होने की सजा पा रहे थे।
जिंदगी के अच्छे दिन आएंगे,
यह नारे भी याद आ रहे थे।
कोरोना ने कर दिया..क्या हाल,
टी.वी. देख कर आँख में…
कुछ के आँसू भी आ रहे थे।
विडंबना देखिए…
हालात और शिक्षण नीतियों के मारे,
शिक्षक किस हाल में हैं।
ना किसी को निजी,
और ना सरकारी शिक्षक याद आ रहे थे।
जो इस महामारी में,
समस्त विषमता से परे।
दुनिया को कोरोना क्या शिक्षा दे रहा है,
इस बात से अनभिज्ञ
ऑनलाइन पाठ पुस्तकों के चित्र घुमा रहे थे।
बस ऑनलाइन सिस्टम की,
कठपुतलियां बन के,
बच्चों को नोट-पाठ्यक्रम पहुंचा रहे थे।
जिंदगी की सच्चाई से ना खुद शिक्षित हुए,
ना इसका मूल्य समझा पा रहे थे।
कोरोना जिंदगी को,
जिस हाशिए पर खड़ा कर गया
कहीं वेतन कट ना जाए।
शिक्षक पाठ्यक्रम,
पेपर ऑनलाइन का राग गा रहे थे।
जिंदगी का असल सच से कितना परे था,
हमारे शिक्षक स्थल आज घर में बंद होकर भी
कुदरत का पाठ ना पढ़ पा रहे थे,
न समझा पा रहे थे॥

परिचय-प्रीति शर्मा का साहित्यिक उपनाम `असीम` हैL ३० सितम्बर १९७६ को हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर में अवतरित हुई प्रीति शर्मा का वर्तमान तथा स्थाई निवास नालागढ़(जिला सोलन,हिमाचल प्रदेश) हैL आपको हिन्दी,पंजाबी सहित अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हैL पूर्ण शिक्षा-बी.ए.(कला),एम.ए.(अर्थशास्त्र,हिन्दी) एवं बी.एड. भी किया है। कार्यक्षेत्र में गृहिणी `असीम` सामाजिक कार्यों में भी सहयोग करती हैंL इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी,निबंध तथा लेख है।सयुंक्त संग्रह-`आखर कुंज` सहित कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंL आपको लेखनी के लिए प्रंशसा-पत्र मिले हैंL सोशल मीडिया में भी सक्रिय प्रीति शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-प्रेरणार्थ हैL आपकी नजर में पसंदीदा हिन्दी लेखक-मैथिलीशरण गुप्त,जयशंकर प्रसाद,निराला,महादेवी वर्मा और पंत जी हैंL समस्त विश्व को प्रेरणापुंज माननेवाली `असीम` के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“यह हमारी आत्मा की आवाज़ है। यह प्रेम है,श्रद्धा का भाव है कि हम हिंदी हैं। अपनी भाषा का सम्मान ही स्वयं का सम्मान है।”

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