संघर्ष

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** संघर्ष जीवन का प्रमुख हिस्सा है, इसमें खुशियां ढूंढो यारों। संघर्ष कर गतिशील रहना होता है, संघर्ष करते ही मानव अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है। संघर्षों के सागर में, नवीन ऊर्जा के साथ आगे कदम बढ़ाना होती है संघर्ष की पहचान। रवि स्वयं एक संघर्ष से जूझकर, प्रतिदिन उदित होता है, … Read more

अमृत सुधा

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  ********************************************************************************* समुद्र मंथन प्रसंग…………. तपता सूरज आग लगाये चन्द्र सुधा बरसाये, बहुत जरूरी है दोनों ही मानव जीवन पाये। मथा जलधि को देव दानवों ने घट विष का पाया, कैसे सृष्टि बचेगी इससे समझ यही नहीं आया। देवों की विनती सुन भोले जहर पी गये सारा, इस सृष्टि को घोर … Read more

कुछ करके दिखाना है

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** उठो!आगे बढ़ो! हमें कुछ नया करके दिखाना है, हमें ढेरों संघर्ष करके गीत प्रगति के गुनगुनाना है। अपनी-अपनी तखल्लुस भूल जाओ इस संसार में, हम सबको मिलकर एक नया समाज बनाना है। बिखेर दो खुशबू अपनी मेहनत की हर ओर तुम, जीवन के दुःखी मधुबन में नये पुष्प खिलाना है। हर … Read more

गाँवों को शहर खा गया

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  ********************************************************************************* उजड़ रहे हैं गाँव बिचारे शहर खा गया गाँवों को, ऐसा लगता अपने हाथों काट रहा खुद पाँवों को। और बहुत की चाहत में खेती करना छोड़ दिया, बहुत कमायेंगे शहरों में, कहकर गाँव छोड़ दिया। मेहनत से रिश्ता तोड़ा, शहरों से नाता जोड़ा है, खून-पसीने से जो मिलता … Read more

लड़ते रहे शान्ति की लड़ाई

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- देदी हमें आजादी वो गुजरात का था लाल, लाठी-लंगोटी वाले ने ये कर दिया कमाल। खायी थी कितनी लाठियाँ और जेल भी गये, अरमान दिल के फिर भी मिटने नहीं दिये। किया असहयोग आंदोलन,नमक बना दिया, अंग्रेजों भारत छोड़ दो ये नारा सही दिया। हर काम में अंग्रेजों के … Read more

भोर

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- उगते हुए आदित्य की लाली को है मेरा नमन, छिपते हुए सूरज ने नभ को लाल लाल कर दिया। किरणें आयी भानु की जादू-सा हरसू हो गया, इस धरा को रोशनी से मालामाल कर दिया। खिल गये उपवन सभी औ खिल उठा सारा चमन, फूलों औ कलियों ने गुलशन … Read more

सपने

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** प्रत्येक व्यक्ति के सपने, होते हैं सबके अपने। सपने जिनमें उड़ान होती है, मनुष्य के लिए सबसे खूबसूरत होते हैं, उसके सपने। इन सपनों से ही मानव, जीवनभर गतिशील रहता है। गतिशील रहना ही, मानव का कर्तव्य है। सपनों के मार्ग पर कितने, संघर्षों का सामना होता है। संघर्षों से लड़ना, … Read more

चाँदनी हँसती रही

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- फूल पर मँडराया भँवरा,डालियाँ हिलती रही, खिलखिलाती कलियों के सँग चाँदनी हँसती रही। हँस लो जितना हँसना है,कल बीन कर ले जाएँगे, कलियाँ मुरझा-सी गयी और चाँदनी हँसती रही। सेज पर मधु यामिनी की दी बिछा इक शख्स ने, सिसकती कलियाँ रही और चाँदनी हँसती रही। देखता था मैं … Read more

जीवन-मृत्यु

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- जीवन-मृत्यु खेल निराला विधि का सारा देखा भाला, राज मृत्यु का जाना किसने ! मनुज हो रहा है मतवाला। विधना जो जीवन देता है अच्छे कर्मों से मिलता है, मृत्यु सत्य है जीवन मिथ्या ये सबसे पहले लिखता है। तन है इक माटी का ढेला दो दिन आया दो … Read more

अमृत से भी मीठी बोली

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. मुझे नहीं है सभी विश्व की भाषाओं का ग्यान, मैं करता हूँ अपनी हिंदी भाषा पर अभिमान। हिन्दी वेदों की वाणी है हिन्दी भारत की पहचान, भारत का जन-जन करता है हिन्दी का सम्मान। भारत भाल का मुकुट है ये हिन्दी ही मातृ समान, उर्दू,इंग्लिश … Read more