बारिशों का मौसम

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- रिम-झिम बरसो कारे बदरा तन-मन झुलसा जाए, तुम बिन कौन यहाँ मेरा जो आकर प्यास बुझाए। इक तो ये बारिश का मौसम,पास पिया ना मेरे, ये बारिश की बूँदें भी तन मन को आ कर घेरे। बागों में फिर झूले डल गए सखियाँ झूले सारी, एक अकेली बैठी ताकूँ,मैं … Read more

पाकी का सीना फाड़ दिया

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष………. भारत के वीर जवानों ने पर्वत पर झंडा गाड़ दिया, विजय कारगिल पर करके पाकी का सीना फाड़ दियाl बर्फीली चोटी पर रहकर देश की रक्षा करते थे, बदन भले सड़ जाये,पर परवाह नहीं वो करते थेl पर लातों का भूत बात से कहाँ … Read more

दुःखी किसान

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** इस भयंकर वर्षा ने पकी फसल को सुला दिया, उस गरीब किसान को इसने मार के रुला दिया। जो अपना कर्म समझ के पी रहा चोटों का दर्द, आज उस अन्नदाता को ईश्वर ने भी भुला दिया॥ वर्षा के कितने रुप,कभी अमृत तो कभी जहर, लेकर आई यह विनाशी अंधकार,मचाया है … Read more

आँचल का पहला फूल

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- माँ का आँचल और आँचल का पहला फूल नारी को सम्पूर्ण नारीत्व का भान कराता है। माँ बनना नारी की सम्पूर्णता है। मातृत्व का आभास ही तन,मन और जीवन में उल्लास की सृष्टि करता है। ये एक ऐसा अहसास है,जिस अहसास को महसूस करने के लिये एक माँ पूरा … Read more

मेघा बरसे रे…

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** मेघा बरसे रे,जन सब हरसे रे, धरा पर बरसे मेघा रसधार। चले ठंडी बूंदों की फुहार, वसुधा पहने हरियाली का हार। बहारें गा रहीं गीत मल्हार, फिर तू क्यों तरसे रे। मेघा बरसे रे जन सब हरसे रे॥ झम-झम झम-झम बजे संगीत, दादुर भी गा रहे मिलकर गीत। दिखी है अब … Read more

बारिश का मौसम

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- बारिश का मौसम चेहरों पर खुशियाँ लेकर आया, हर चेहरा खिल उठा रहा था पहले जो मुरझायाl बादल गरजे बिजली चमकी,चली पुरवाई, लगे झूमने तरुवर भी बारिश ने झड़ी लगायीl मोटी-मोटी बूँदों ने धरती को है नहलाया, मुँह से निकल पड़ा-देखो बारिश का मौसम आयाl निकल पड़ी बच्चों की … Read more

बरसो रे मेघा बरसो

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- आओ मेघा राजा आओ, प्यासी धरती जल बरसाओl सूखी नदियाँ ताल-तलैया, आकर इनकी प्यास बुझाओl आओ मेघा राजा… ढोर पखेरू मानुष सारे, तड़प रहे प्यासे बेचारेl जल ही जीवन प्राण वही है, प्राण दान इनको दे जाओl आओ मेघा राजा… सूख गयी खेतों की बाली, धानी चुनर हो गई … Read more

राष्ट्र प्रेम

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- देशप्रेम एक गुरूमंत्र है,सबको यही सिखाना है, कर पुरुषार्थ देश को अपने उन्नत हमें बनाना हैl हर घर पर लहराए तिरंगा,जन गण मन का गान हो, वंदेमातरम् गूँजे,ऐसा हिन्दुस्तान बनाना हैl राष्ट्रप्रेम जिस हृदय नहीं,हृदय नहीं वो पत्थर है, देशभक्ति का दीपक हमको हर दिल में जलाना हैl सारा … Read more

सीख

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- कर्म कर फल पाएगा, व्यर्थ कुछ ना जाएगाl सार्थक जीवन बिता ले, वर्ना फिर पछताएगाl चार दिन की जिन्दगी, कब समझ में आएगाl कर्म अच्छा या बुरा हो, जस किया तस पाएगाl झूठे हैं रिश्ते ये नाते, टूट ये भ्रम जाएगाl कर्म कर ले पुण्य का तू, साथ वो … Read more

वीर सिपाही की ललकार

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- भारत में पैदा होकर के मैं इसको नहीं लजाऊँगा, सौगन्ध मुझे है मिट्टी की,मैं खेल मौत से जाऊँगा। दे बलिदान देश भक्तों नें इसकी आन बचाई है, राणा प्रताप से वीरों ने रोटियाँ घास की खायी है। उन बलिदानी वीरों में मैं अपना नाम लिखाऊँगा, सौगन्ध मुझे है… दुश्मन … Read more