मौसम बदलेगा
निर्मल कुमार शर्मा ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) ***************************************************** मत हो तू मायूस परिंदे,मौसम बदलेगा,होगा फिर आबाद चमन,ये,फिर से महकेगा। वक़्त जो रूठा,साथ जो छूटा अपनों का,बेज़ार न हो,आएगी फिर सहर,ये आँगन फिर से चहकेगा। बर्ग शज़र से टूटा करते,इससे तू नाशाद न हो,बरसेंगे फिर अब्र,ये दरख़्त फिर से लहकेगा। इन्क़िलाब की चिनगारी जो सुलगी,वो बेकार न हो,बदलेगा … Read more