दुष्ट प्रवृत्ति व शोषण का शिकार बनती महिलाएँ

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ********************************************************************** पूरा भारत जहाँ एक ओर नारी सम्मान की बात करता है,वहीं जहाँ मौका मिलता है दमन करने से नहीं चूकता। एक ओर कन्या दिव्य रूप मानकर पूजी जाती है,तो दूसरी ओर भ्रूण हत्या,बलात्कार जैसे जघन्य अपराध का शिकार हो रही है। हमारे भारत में हर वर्ग में नारी … Read more

सम्वेदनाओं का अकाल

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* हर चेहरे पर है शून्यता, है भावों की कुछ न्यूनता… लगता है इंसान मशीन हो गया, हर रिश्ता,प्रेम से बस छूट गया। सम्वेदनाओं का अकाल पड़ गया…॥ माँ-बाप लगे बस अधिक कमाने, बेहतर से बेहतर सुविधा जुटाने… माँ की ममता आया का प्यार हो गया, सेवा,इंसानियत,सब व्यापार हो … Read more

तनिक शर्म करो

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* तनिक शर्म करो,शाहीन बाग के गद्दारों, देशभक्त कहते खुद को,पहले देशभक्ति का पाठ पढ़ो। किस अधिकार की बात हो करते,चाहिए कौन-सी आजादी! एनपीआर,सीएए का सबक तो पहले याद करो। देशभक्त कहो खुद को,कोई तो ऐसा काम करो, साबित करना है खुद को,निर्भया की माँ का इंसाफ करो। आसान … Read more

एक माँ की मजबूरी

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* (`ऑटिज़्म` एक ऐसा मनोरोग है,जो बच्चे को तो दु:ख देता है और सबसे ज्यादा आहत होती है माँ। एक ऐसी ही माँ का दर्द-) “गीता ओ गीता,(बाहर से आती आवाज से चौंककर बाहर आयी, गीता अभी अभी बेटे की थैरेपी कराके लौटी थीl)…” “आइए भाभी क्या बात है,आप … Read more

मौन को न मौन रहने दो

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* कुछ तो बोलो,कुछ तो कहने दो, मौन को न मौन रहने दो। शब्द देकर अपने भावों को आँखों से बोलने दो, मौन को न मौन रहने दो॥ देकर शब्दों को कलम की शक्ति, रहस्य मन के खोलने दो… मौन को न मौन रहने दो। ‘अति की भली न … Read more

अजनबी

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* भटक रहे दरबदर अजनबी से इस शहर में, यहाँ दुश्मन ही मिले,दोस्तों के भेष में। घर से बेघर किया अपनों ने,अपने ही देश में, बन मेहमान आये यहाँ,छुपा देखा दुश्मन भाई भाई के भेष में। हम अजनबी भी मुद्दा है यहां राजनीति के खेल में, कुछ अजनबियों ने … Read more

संविधान और आज के हालात

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष……… २६ जनवरी का क्या मतलब है,क्यों मनाते हैं हम? गण अर्थात जनता तंत्र अर्थात शासन यानि जनता का शासन। वीर शहीदों के अथक प्रयास और बलिदान के बाद हम भारतीयों को अंग्रेजों के शासन और अत्याचारों से मुक्ति मिली। आजादी के बाद सभी जन … Read more

दीवारें भी बोलती हैं…

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* न समझो खामोश ये रहती हैं, तन्हाइयों में मेरी,मुझसे बातें करती हैं, क्योंकि,दीवारें भी बोलती हैं…। रोती हैं साथ मेरे तो कभी हँसती हैं, घड़ी की टिक-टिक, झींगुर की झन-झन से कुछ कहती,कुछ सुनती हैं। क्योंकि,दीवारें…। बनाये थे जो चित्र बचपन में इन पर, सूनी निगाहों से मन … Read more

जमानत

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* ये भारत का संविधान है, यहाँ जमानत मिलना आसान है। राजनीति संबंध बनाकर करते अपराध हैं, क्योंकि यहाँ जमानत मिलना आसान है॥ छूट जमानत पर अपराधी, फिर करते नया अपराध हैं। पीड़ित की बर्बादी, बस नेताओं की बहस का मुद्दा है। कोई देता हर्जाना, कोई गलत बयान है। … Read more

बड़े दिन की छुट्टी और हालात

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* ‘बड़े दिन की छुट्टी’ स्पर्धा  विशेष……… “आज २५ दिसम्बर `बड़े दिन की छुट्टी`,वाह मजा आ गया”,घर में घुसते ही मोनू चिल्लाया। मम्मी-“क्यों चिल्ला रहे हो ? लो आफत आ गयी। छुट्टियां तुम्हारी-आफत मेरी,सारा दिन किचिन में, कभी पकौड़ी,कभी कचौड़ी बस खिलाते रहो बदमाशों को। मुझे भी ठंड लगती … Read more