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जमानत

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’
बरेली(उत्तर प्रदेश)
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ये भारत का संविधान है,
यहाँ जमानत मिलना आसान है।
राजनीति संबंध बनाकर
करते अपराध हैं,
क्योंकि यहाँ जमानत मिलना आसान है॥

छूट जमानत पर अपराधी,
फिर करते नया अपराध हैं।
पीड़ित की बर्बादी,
बस नेताओं की बहस का मुद्दा है।
कोई देता हर्जाना,
कोई गलत बयान है।

क्या खोई इज्जत लौटाएगा,
तुरंत मिले न्याय नारी को,
क्या कोई कानून बन पायेगा।
कौन लेगा जिम्मेदारी,
कौन सबका जिम्मेदार है।

ये भारत का संविधान है,
ये माना निर्दोष को सजा न हो जाए
क्या फायदा इसका,
अपराधी नहीं उठाता है !
अपराध कर अपराधी,
लाभ उठा कोमलता का
जमानत ले छूट जाता है॥

परिचय-गीतांजली वार्ष्णेय का साहित्यिक उपनामगीतू` है। जन्म तारीख २९ अक्तूबर १९७३ और जन्म स्थान-हाथरस है। वर्तमान में आपका बसेरा बरेली(उत्तर प्रदेश) में स्थाई रूप से है। हिन्दी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाली गीतांजली वार्ष्णेय ने एम.ए.,बी.एड. सहित विशेष बी.टी.सी. की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में अध्यापन से जुड़ी होकर सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत महिला संगठन समूह का सहयोग करती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,लेख,कहानी तथा गीत है। ‘नर्मदा के रत्न’ एवं ‘साया’ सहित कईं सांझा संकलन में आपकी रचनाएँ आ चुकी हैं। इस क्षेत्र में आपको ५ सम्मान और पुरस्कार मिले हैं। गीतू की उपलब्धि-शहीद रत्न प्राप्ति है। लेखनी का उद्देश्य-साहित्यिक रुचि है। इनके पसंदीदा हिंदी लेखक-महादेवी वर्मा,जयशंकर प्रसाद,कबीर, तथा मैथिलीशरण गुप्त हैं। लेखन में प्रेरणापुंज-पापा हैं। विशेषज्ञता-कविता(मुक्त) है। हिंदी के लिए विचार-“हिंदी भाषा हमारी पहचान है,हमें हिंदी बोलने पर गर्व होना चाहिए,किन्तु आज हम अपने बच्चों को हिंदी के बजाय इंग्लिश बोलने पर जोर देते हैं।”

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