प्रकृति का बिछुड़ना

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** सूरज एक,चन्द्रमा एक धरती सारी बंट गई, प्रकृति की सुंदरता कहाँ जा के छुप गई। बादलों से हो व्रजपात समुन्दर से हो चक्रवात, महामारी बनी महा…

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