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शिक्षक

डॉ.नीलिमा मिश्रा ‘नीलम’ 
इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश)

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जलाया ज्ञान का दीपक अंधेरे को मिटा
डाला,
पड़ी कच्ची जो मिट्टी थी उसे मूरत बना
डाला।
जो हरदम सोचता रहता कि कैसे राष्ट्र
उन्नत हो,
उसी शिक्षक ने हर सेमिनार को वेबिनार
में ढाला।

करे सेवा जो मेहनत से हमेशा ज्ञान
देता है,
जो बालक की समस्या हल करे सम्मान
देता है।
प्रणाली नित नयी अपना रहा जैसी
ज़रूरत हो,
लिखित लेता परीक्षा जिसको गूगल फ़ार्म
में ढाला।

जो पेंसिल-पेन को अपने माउस और की-
बोर्ड से बदले
निजी जो फ़ोन है उसका उसी से क्लॉस
जो कर ले।
ज़रूरत आ पड़ी है नित बनाता वीडियो
अपने,
उसे यू ट्यूब की साइट में है अपलोड
कर डाला।

नही है ज्ञान की सीमा जिसे शिक्षक
समझता है,
सदा जीवन समर्पित करके अपना
धर्म करता है।
गुरू नानक कबीरा सूर तुलसी
वाल्मीकि सम,
विवेकानंद राधाकृष्ण की सीखों
का रखवाला।

परिचय-डॉ.नीलिमा मिश्रा का साहित्यिक नाम नीलम है। जन्म तारीख १७ अगस्त १९६२ एवं जन्म स्थान-इलाहाबाद है। वर्तमान में इलाहाबाद स्थित साउथ मलाका (उत्तर प्रदेश) बसी हुई हैं। स्थाई पता भी यही है। आप एम.ए. और पी-एच.डी. शिक्षित होकर केन्द्रीय विद्यालय (इलाहाबाद) में नौकरी में हैं। सामाजिक गतिविधि के निमित्त साहित्य मंचन की उपाध्यक्ष रहीं हैं। साथ ही अन्य संस्थाओं में सचिव और सदस्य भी हैं। इनकी लेखन विधा-सूफ़ियाना कलाम सहित ग़ज़ल,गीत कविता,लेख एवं हाइकु इत्यादि है। एपिग्रेफिकल सोसायटी आफ इंडिया सहित कई पत्र-पत्रिका में विशेष साक्षात्कार तथा इनकी रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। ब्लॉग पर भी लिखने वाली डॉ. मिश्रा की विशेष उपलब्धि-विश्व संस्कृत सम्मेलन (२०१५,बैंकाक-थाईलैंड)और कुम्भ मेले (प्रयाग) में आयोजित विश्व सम्मेलन में सहभागिता है। लेखनी का उद्देश्य-आत्म संतुष्टि और समाज में बदलाव लाना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-डॉ. कलीम कैसर हैं। इनकी विशेषज्ञता-ग़ज़ल लेखन में है,तो रुचि-गायन में रखती हैं। 

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