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अनजाने गुरुओं का आभार

अंतुलता वर्मा ‘अन्नू’ 
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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शिक्षक दिवस विशेष………..

ये जरूरी नहीं है,
कि जिन्होंने हमें पढ़ाया
सिर्फ वही हमारे गुरु हों,
हमारी ज़िंदगी में
ऐसे बहुत से लोग आए,
जो हमें बहुत कुछ
नया सिखा कर गए,
क्या वे गुरु
का दर्जा नहीं रखते!
अनजाने में ही सही,
पर वे हमारे गुरु बन गए।
मेरे लिए,
हर वह शख्स
मेरा गुरु है,
जिसकी वजह से
मैं कुछ नया सीख पाई।
जैसे गुरु का,
कर्तव्य होता है
अपने शिष्यों को,
पढ़ना सिखाना…
आगे बढ़ना सिखाना,
एक आदर्श बनाना
सकारात्मक ऊर्जा देना,
वैसे ही इन
अनजान गुरुओं,
का कार्य होता है
हमें पीछे खींचना,
हमारा मनोबल गिराना।
हमारी तरक्की के रास्तों में,
काँटे बिछाना…
और हम अपने,
गुरुओं द्वारा दी शिक्षा
अपने माता-पिता,
द्वारा दिए संस्कारों की
सकारात्मक ऊर्जा,
की वजह से
इन अनजाने में बने गुरुओं,
द्वारा फैलाए
विपत्ति जाल,
को भी पार करते
चले जाते हैं।
और इन्हीं लोगों,
की वजह से
अनजाने में ही सही,
इतने मजबूर…
होते चले जाते हैं,
कि,फिर ज़िंदगी की
बड़ी से बड़ी,
विपत्तियाँ भी…
हमें छोटी लगने लगती है।
ऐसे गुरुओं का,
बहुत-बहुत धन्यवाद
कि,वे हमारी ज़िंदगी में आए,
और हमको इतना तराशा।
मेरे माता-पिता,
मेरे गुरुजनों एवं
उन सभी अनजान गुरुओं का,
बहुत-बहुत आभार॥

परिचय-श्रीमती अंतुलता वर्मा का साहित्यिक उपनाम ‘अन्नू’ है। १५ नवम्बर १९८३ को विदिशा में जन्मीं अन्नू वर्तमान में करोंद (भोपाल)में स्थाई रुप से बसी हुई हैं। हिंदी,अंग्रेजी और गुजराती भाषा का ज्ञान रखने वाली मध्यप्रदेश वासी श्रीमती वर्मा ने एम.ए.(हिंदी साहित्य),डी.एड. एवं बी.एड. की शिक्षा प्राप्त की है। आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी (शास. सहायक शिक्षक)है। सामाजिक गतिविधि में आप सक्रिय एवं समाजसेवी संस्थानों में सहभागिता रखती हैं। लेखन विधा-काव्य,लघुकथा एवं लेख है। अध्ययनरत समय में कविता लेखन में कई बार प्रथम स्थान प्राप्त कर चुकी अन्नू सोशल मीडिया पर भी लेखन करती हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-चित्रकला एवं हस्तशिल्प क्षेत्र में कई बार पुरस्कृत होना है। अन्नू की लेखनी का उद्देश्य-मन की संतुष्टि,सामाजिक जागरूकता व चेतना का विकास करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महादेवी वर्मा,मैथिलीशरण गुप्त,सुमित्रा नन्दन पंत,सुभद्रा कुमारी चौहान एवं मुंशी प्रेमचंद हैं। प्रेरणापुंज -महिला विकास एवं महिला सशक्तिकरण है। विशेषज्ञता-चित्रकला एवं हस्तशिल्प में बहुत रुचि है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हमारे देश में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती है,परंतु हिंदी एकमात्र ऐसी भाषा है जो देश के अधिकांश हिस्सों में बोली जाती है,इसलिए इसे राष्ट्रभाषा माना जाता है,पर अधिकृत दर्जा नहीं दिया गया है। अच्छे साहित्य की रचना राष्ट्रभाषा से ही होती है। हमें अपने राष्ट्र एवं राष्ट्रीय भाषा पर गर्व है।”

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