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गुरु की महिमा

डॉ.शैल चन्द्रा
धमतरी(छत्तीसगढ़)
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गुरु होते सागर,
देते ज्ञान का गागर।
गुरु की कृपा अपार,
लगाते नैय्या पार।
गुरु होते जैसे कुम्हार,
देते हमें सुंदर आकार।
गुरु देते ज्ञान का दान,
मिट जाता मन का अज्ञान।
गुरु की गोद में खेलते प्रलय और निर्माण,
हाथ कंगन को आरसी क्या,प्रत्यक्ष है प्रमाण।
राम कृष्ण आरुणि अर्जुन,
बनाते महापुरुष महान।
गुरु होते ईश्वर तुल्य यह मान,
बिन गुरु नहीं सम्भव है जीवन का सार।
गुरु की कृपा होती शिष्य पर अपार,
गुरु चरणों में मेरा बारम्बार प्रणाम।
आपकी कृपा से मिला है
मुझे नित नव आयाम।
हे! गुरुवर आपकी महिमा अपरम्पार,
आपके चरणों में नमन है बार-बार॥

परिचय-डॉ.शैल चन्द्रा का जन्म १९६६ में ९ अक्टूम्बर को हुआ है। आपका निवास रावण भाठा नगरी(जिला-धमतरी, छतीसगढ़)में है। शिक्षा-एम.ए.,बी.एड., एम.फिल. एवं पी-एच.डी.(हिंदी) है।बड़ी उपलब्धि अब तक ५ किताबें प्रकाशित होना है। विभिन्न कहानी-काव्य संग्रह सहित राष्ट्रीय स्तर के पत्र-पत्रिकाओं में डॉ.चंद्रा की लघुकथा,कहानी व कविता का निरंतर प्रकाशन हुआ है। सम्मान एवं पुरस्कार में आपको लघु कथा संग्रह ‘विडम्बना’ तथा ‘घर और घोंसला’ के लिए कादम्बरी सम्मान मिला है तो राष्ट्रीय स्तर की लघुकथा प्रतियोगिता में सर्व प्रथम पुरस्कार भी प्राप्त किया है।सम्प्रति से आप प्राचार्य (शासकीय शाला,जिला धमतरी) पद पर कार्यरत हैं।

 

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