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संकट में साहित्यकारों की भूमिका सराहनीय-डाॅ. चौधरी

नागदा(मप्र)l

वैश्विक महामारी के संकट में कोरोना योद्धाओं ने जो कार्य किया है,वह प्रशंसनीय है। संचेतना शीघ्र ही एक कार्यक्रम में कोरोना योद्धाओं का सम्मान करेगी। संकट की इस घड़ी में साहित्यकारों ने जो भूमिका निभाई है,वह स्तुत्य है।
यह बात राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ. प्रभु चौधरी ने कोरोना महामारी को लेकर आयोजित ऑनलाईन कवि सम्मेलन में कही। संचेतना के उपाध्यक्ष सुन्दरलाल जोशी सूरज ने बताया कि,कवि सम्मेलन में ख्यात कवियों ने रचनाओं से समां बांध दिया। प्रारंभ में इन्दौर की कवियित्री रागिनी स्वर्णकार शर्मा ने माँ सरस्वती की मधुर वंदना प्रस्तुत करते हुए गीत पढ़ा-न छूना किसी को,ये सबको लग जाएगी। थोड़ी-सी सावधानी ही,सबको बचाएगीll
मुख्य अतिथि इन्दौर के संयुक्त संचालक (लोक शिक्षण) मनीष वर्मा ने इन पंक्तियों पर खूब दाद बटोरी-लाकडाउन के पालन से,कोरोनाको भगाना है। वायरस के संक्रमण से,मानव जाति को बचाना हैll वरिष्ठ साहित्यकार हरेराम वाजपेयी की रचना पर खूब तालियाँ बजी-है प्रार्थना जनमानस से, घर-घर रहकर कार्य करें। तन-मन-धन श्रद्धा से देे,देश हित बलिदान करेंll सम्मेलन का काव्यात्मक संचालन करते हुए कवि सुन्दरलाल जोशी ‘सूरज‘ ने जब यह गीत पढ़ा तो कोई भी अपनी ताली रोक नहीं सका-दूर-दूर बैठ लो,हाथ मल के धोईये,ढक कर मुँह को सभी,कोरोना भगाइयेll शिक्षाविद् अनिल ओझा ने अध्यक्षता करते हुए मधुर गीत पढ़ा-मंदिर मस्जिद बंद पड़े हैं, बंद चर्च-गुरूद्वारे। अपना-अपना छोड़ के आलय,कहाँ गए भगवान सारेllश्रीराम शर्मा ‘परिंदा‘ सहित अमृता अवस्थी,दिनेश परमार आदि ने भी रचनाएँ पढ़ींl सचिव विनोद सोनगिर ने जनता का आह्वान यूँ किया-लक्ष्मण रेखा खींचकर,खुद पर करो उपकार । घर के अंदर बने रहो,नहीं होंगे कोरोना बीमारll

इस अवसर पर हरिशंकर पाटीदार,डाॅ. ज्योति सिंह,गोपाल कौशल ने भी काव्य पाठ किया। कवियित्री पायल परदेशी ने सबका आभार मानाl

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