कुल पृष्ठ दर्शन : 158

ईश्वर ही जाने सारे गूढ़ रहस्य

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’
ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर)

*******************************************************

मानव जन्मजात पागल ही तो है। जब जानता है कि साँसें गिनती की हैं और अपना शरीर भी अपना नहीं है,तो ऐसे में दूसरों पर भरोसा करना,पागलपन नहीं तो और क्या है ? सत्य से कब तक मुँह फेरेगा ? सत्य यह है कि समस्त सृष्टि के मानव एक अदृश्य अज्ञात मंजिल के यात्रीगण हैं। उस यात्रा में रिश्ते-नाते,भाई-बंधु,मित्र व बीवी-बच्चे एक पड़ाव मात्र हैं। जो भाग्यवश कुछ दूरी साथ-साथ तय करते हैं और कुछ अंतराल के बाद दुर्भाग्यवश बिछुड़ जाते हैं, जिसे कर्म चक्कर भी कहा गया है।
उदाहरणार्थ माँ-बाप के अथाह प्रेम से उत्पन्न बच्चे को निःस्वार्थ माँ अपनी छाती का दूध पिलाने और पिता अपने पसीने से नहलाने के उपरांत स्वर्ग सिधार जाते हैं,या वही बच्चे उन्हें स्वर्ग सिधारने तक वृद्धाश्रम में नरक भोगने के लिए छोड़ आते हैं,जिन्हें जन्म-जन्मांतर के कर्मों के फल की संज्ञा दी गई है। यह संज्ञा कितनी सत्य और कितनी असत्य है ?,इस गूढ़ रहस्य को परम पिता परमेश्वर अर्थात ईश्वर के अलावा कौन जाने ?

आत्मा के रहस्य से भी अभी तक पर्दा नहीं उठ सका। प्रश्न वहीं के वहीं हैं कि,आत्मा जन्म से पहले कहां से आती है और मरने के उपरांत कहां चली जाती है ? सगे-संबंधियों के गिले-शिकवे क्या महत्वपूर्ण हैं या महत्वहीन ? वह जीवित होते हुए भी कभी जिंदा रहे या नहीं,कुछ पता नहीं ? इसलिए पृथ्वी पर रहने वालों को मृतलोक की संज्ञा कहीं इसी आधार पर तो नहीं दी गई ?

परिचय–इंदु भूषण बाली का साहित्यिक उपनाम `परवाज़ मनावरी`हैl इनकी जन्म तारीख २० सितम्बर १९६२ एवं जन्म स्थान-मनावर(वर्तमान पाकिस्तान में)हैl वर्तमान और स्थाई निवास तहसील ज्यौड़ियां,जिला-जम्मू(जम्मू कश्मीर)हैl राज्य जम्मू-कश्मीर के श्री बाली की शिक्षा-पी.यू.सी. और शिरोमणि हैl कार्यक्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों से लड़ना व आलोचना है,हालाँकि एसएसबी विभाग से सेवानिवृत्त हैंl सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप पत्रकार,समाजसेवक, लेखक एवं भारत के राष्ट्रपति पद के पूर्व प्रत्याशी रहे हैंl आपकी लेखन विधा-लघुकथा,ग़ज़ल,लेख,व्यंग्य और आलोचना इत्यादि हैl प्रकाशन में आपके खाते में ७ पुस्तकें(व्हेयर इज कांस्टिट्यूशन ? लॉ एन्ड जस्टिस ?(अंग्रेजी),कड़वे सच,मुझे न्याय दो(हिंदी) तथा डोगरी में फिट्’टे मुँह तुंदा आदि)हैंl कई अख़बारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंl लेखन के लिए कुछ सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैंl अपने जीवन में विशेष उपलब्धि-अनंत मानने वाले परवाज़ मनावरी की लेखनी का उद्देश्य-भ्रष्टाचार से मुक्ति हैl प्रेरणा पुंज-राष्ट्रभक्ति है तो विशेषज्ञता-संविधानिक संघर्ष एवं राष्ट्रप्रेम में जीवन समर्पित है।

Leave a Reply