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फिर एक कविता पिरोनी है

मोनिका शर्मा
मुंबई(महाराष्ट्र)
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ख़यालों की नदियाँ जैसे हैं मन में बह रहीं,
यह पंक्तियाँ जो हैं शीत की बयार और ग्रीष्म की किरणें सह रहीं
उन ख़यालों की नदियों को स्याही से मिलाना है,
इन पंक्तियों की सिलनी कहानी है…
आज फिर एक कविता पिरोनी है।

रोगी मन की जो प्यास है,
अवनति कर रहा जो विश्वास है
मन पर करनी शब्दों की बरसात है,
फिर विश्वास की ज्योत जलानी है…
आज फिर एक कविता पिरोनी है।

एक दुल्हन के खुशियों के मिलन की,
एक विधवा के सुख के विभाजन की
एक अनुराग-रस में डूबी हुई,
एक विरह व्यथा से टूटी हुई
इन रसों की माला गूँथनी है…
आज फिर एक कविता पिरोनी है।

उपवन में करते जो कुसुम श्रृंगार हैं,
विटप से गिरते पत्ते जो देते पुकार हैं
उस उपवन की सुंदरता का करना बखान है,
इन पुकारों की बुलंद करनी जुबानी है…
आज फिर एक कविता पिरोनी है।

माँ की ममता का जो दामन है,
पिता के प्यार का जो आँगन है
उस दामन के स्वाभिमान को ओढ़े रखना है,
है खिलना इस आँगन की झोली में…
आज फिर एक कविता पिरोनी है।

स्मृति गलतियों की जो हैं बचपन की नादानी की,
नसीहत देती है घटनाएं अल्हड़ जवानी को।
एक कली से फूल बनने का सफर करता तय जो,
उस पीढ़ी की ज्वाला बढ़ानी है।
आज फिर एक कविता पिरोनी है…॥

परिचय-मोनिका शर्मा की जन्म तिथि १४ मई २००४ तथा जन्म स्थान राजस्थान हैL इनका निवास नवी मुंबई में हैL यह फिलहाल नवी मुंबई स्थित विद्यालय में अध्ययनरत है। उपलब्धि औरंगाबाद में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हुए फुटसाल खेल में प्रथम स्थान और हिंदी भाषण प्रतियोगिता में तीसरे स्थान पर आना है। हिंदी-अंग्रेजी में कविता,कहानी और निबंध लिखने की शौकीन सुश्री शर्मा की मुख्य रुचि लेखन ही है।

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