कुल पृष्ठ दर्शन : 270

You are currently viewing सफर कदापि निरर्थक ना हो

सफर कदापि निरर्थक ना हो

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’
बरेली(उत्तरप्रदेश)
*********************************

काँटों में खिलते गुलाब से हमें सीखना होगा,
चुनौतियों में भी दृढ़ हमको दिखना होगा।
संकल्प शक्ति ही काफी है जीवन संवारने को-
पाने को सुख-दुःख में भी दर्द को लीलना होगाll

ओस की बूंद-सा होता है जीवन का सफर,
कभी फूल या धूल में होता है जीवन का सफर।
बिखरने के लिए नहीं मिला ये एकमात्र अवसर-
संवारने-संवरने के लिए होता है जीवन का सफरll

व्यक्ति की सच्चाई और अच्छाई कभी नहीं व्यर्थ जाती है,
कर्म की पूजा ही जीवन में सच्चा अर्थ पाती है।
अच्छे के साथ अच्छा और बुरे का बुरा होकर है रहता-
यदि आ जाये दुर्भावना तो यह जीवन में अनर्थ ही लाती हैll

Leave a Reply