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दृष्टिकोण

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

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“क्यों,तुम उस फल वाली को,जितने रुपये वह मांगती है,उतने ही क्यों दे देती हो। कुछ मोल-भाव क्यों नहीं करती हो ?” पति ने पत्नी पूर्णिमा से सवाल किया।
“अरे देखो,तालाबंदी का समय चल रहा है,वह कैसे सिर पर टोकरी और जान हथेली पर रखकर अपनी बेटी को साथ में लेकर धूप में घर-घर घूमकर फल बेचती है। ऐसे में अगर मोल-भाव करके हम दो-चार रुपये कम न भी करें,तो हमें क्या फर्क पड़ेगा,पर उस बेचारी को तो यह छोटी-सी राशि भी बड़ा मायने रखती है ?” पत्नी ने पति को अपना दृष्टिकोण रखा।
उधर,फल वाली के साथ आने वाली उसकी बेटी ने अपनी माँ के सामने अपनी जिज्ञासा रखी-“आई,उन पूर्णिमा आंटी को आप औरों की अपेक्षा ज़्यादा भाव क्यों बताती हो,जबकि आप जो भी भाव बताती हो,वे बिना मोल-तोल किए वही दे देती हैं ?”
“तभी तो,क्योंकि उन्हें जो भाव बताओ वे दे देती हैं, जबकि दूसरे बहुत मोल-तोल करते हैं,जिससे हमें बहुत घाटा हो जाता है। तो किसी भी तरह से घाटे की भरपाई तो हो ?” फल वाली ने बेटी को अपना दृष्टिकोण बताया ।
यह सुनकर फल वाली की किशोर बेटी गहरी सोच में पड़ गई। वह यह समझ पाने में असमर्थ थी कि क्या सही है और क्या ग़लत!

परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैl आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैl एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंl करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंl गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंl साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंl  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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