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युद्ध भी जरुरी है

गोलू सिंह
रोहतास(बिहार)
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हे प्रिय! हृदय से कहना-क्या सत्य स्वभाव से सीधे हो ?
या हे प्रिय! भीष्म की ही तरह तुम भी दु:ख के बाणों से बिधे हो ?

क्यों निरंतर खोज में तुम्हारा दिन व्यतीत होता है ?
या फिर कहो कि भीष्म की ही तरह राष्ट्र चिंता में तुम्हारा चित्त चिंतित होता है!

हे प्रिय! देखो चंहुओर मानव हिंसा से वातावरण व्याकुल लगता है,
हे प्रिय! जन की पीड़ा से तुम्हारा मन निश्चय ही शोकाकुल लगता हैl

क्या अग्नि की ज्वाला बुझ गई सबके अंतर्मन में ?
क्या सूरज की लाली नहीं पड़ रही वसुंधरे के कण-कण में ?
क्या अब अमृत नहीं निकलेगा समुद्र के मंथन में ?
क्या अब श्रीराम नहीं किसी रावण के जीवन में ?

अगर ऐसा है तो,
हे प्रिय! मुख से बोलो,आँसू ना बहाओ नयन से
राक्षस रण नहीं छोड़ते मुख के मीठे कीर्तन सेl

कौरवों ने भी जिद नहीं छोड़ी थी श्री कृष्ण के वंदन से,
तब रणक्षेत्र गूंज उठा था गांडीव के गर्जन सेl

हो रही थी रक्त से युक्त भूमि दुष्टों के मर्दन से,
पर वह युद्ध जरूरी था राष्ट्र और धर्म के चिंतन सेl

हे प्रिय! देखो गगन में भारत से सूर्य,सूर्य से भारत भा में रत है,
हे प्रिय! अपनी सुरक्षा को तत्पर यह सारा जगत हैl

हे प्रिये! तुम भी भारत हो! अपनाओ जैन बुद्ध की संगत को,
पर…
हे प्रिये! कभी मत भूलना श्री कृष्ण की भागवत कोl

हाँ,भारत ने दुनिया को बुद्ध दिया,क्योंकि बुद्ध भी जरूरी है,
हे प्रिय! पर याद रखो,राष्ट्र और धर्म की स्थापना के लिए कभी-कभी युद्ध भी जरूरी हैll

परिचय-गोलू सिंह का जन्म १६ जनवरी १९९९ को मेदनीपुर में हुआ है। इनका उपनाम-गोलू एनजीथ्री है।lनिवास मेदनीपुर,जिला-रोहतास(बिहार) में है। यह हिंदी भाषा जानते हैं। बिहार निवासी श्री सिंह वर्तमान में कला विषय से स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। इनकी लेखन विधा-कविता ही है। लेखनी का मकसद समाज-देश में परिवर्तन लाना है। इनके पसंदीदा कवि-रामधारी सिंह `दिनकर` और प्रेरणा पुंज स्वामी विवेकानंद जी हैं।

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