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दुनिया भुलाएं हम

डाॅ. पूनम अरोरा
ऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)
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उन राहों पर फिर से,
जाने को करता है मन।
जहाँ कभी हम दोनों,
चले थे संग-संग॥

उन हसीन वादियों में,
डूब जाने को करता है मन।
जहाँ गाये थे कभी गीत,
हमने प्यार के,संग-संग॥

चट्टानों से गिरते झरने में,
खेलने का करता है मन।
जिस संगीतमय झरने में,
खो गये थे हमारे मन॥

लौट आये वो खुशनुमा समां,
आसमां में छायी थी घटा।
भिगो गयी थी हमको,
बारिश झम,झमा-झम॥

वो दिन भी कितने हसीं थे,
करते थे ढेरों बातें।
हाथों में हाथ डाले,
अद्भुत प्रकृति के संग॥

उन महकती फिज़ाओं में,
चलो फिर से खो जाएं हम।
सिर रखें तुम्हारी गोद में,
दुनिया को भुलाएं हम॥

आओ आज भर लें,
अपने जीवन में रंग।
समेट कर खूबसूरत लम्हें,
रहें इक-दूजे के संग॥

परिचय–उत्तराखण्ड के जिले ऊधम सिंह नगर में डॉ. पूनम अरोरा स्थाई रुप से बसी हुई हैं। इनका जन्म २२ अगस्त १९६७ को रुद्रपुर (ऊधम सिंह नगर) में हुआ है। शिक्षा- एम.ए.,एम.एड. एवं पीएच-डी.है। आप कार्यक्षेत्र में शिक्षिका हैं। इनकी लेखन विधा गद्य-पद्य(मुक्तक,संस्मरण,कहानी आदि)है। अभी तक शोध कार्य का प्रकाशन हुआ है। डॉ. अरोरा की दृष्टि में पसंदीदा हिन्दी लेखक-खुशवंत सिंह,अमृता प्रीतम एवं हरिवंश राय बच्चन हैं। पिता को ही प्रेरणापुंज मानने वाली डॉ. पूनम की विशेषज्ञता-शिक्षण व प्रशिक्षण में है। इनका जीवन लक्ष्य-षड दर्शन पर किए शोध कार्य में से वैशेषिक दर्शन,न्याय दर्शन आदि की पुस्तक प्रकाशित करवाकर पुस्तकालयों में रखवाना है,ताकि वो भावी शोधपरक विद्यार्थियों के शोध कार्य में मार्गदर्शक बन सकें। कहानी,संस्मरण आदि रचनाओं से साहित्यिक समृद्धि कर समाजसेवा करना भी है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘हिंदी भाषा हमारी राष्ट्र भाषा होने के साथ ही अभिव्यक्ति की सरल एवं सहज भाषा है,क्योंकि हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी है। हिंदी एवं मातृ भाषा में भावों की अभिव्यक्ति में जो रस आता है, उसकी अनुभूति का अहसास बेहद सुखद होता है।

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