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तुम कब जाओगे कोरोना

अलीशा सक्सेना
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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सड़कें और चौराहे सब हो गए हैं सुनसान,
घर में बैठे-बैठे हम भी हो गए हैं परेशान…
तुम कब जाओगे कोरोना!
अब न हो पाता है बाहर खेलने जाना और,
न ही आ पाता घर पर बाहर का कोई खाना…
तुम कब जाओगे कोरोना!
हाथ हो गए गोरे क्योंकि बार-बार है धोना,
और स्वच्छ करवाया घर का हर कोना…
तुम कब जाओगे कोरोना!
५ महीने से बैठे हो बिन बुलाए मेहमान,
और हमें बांध दिया बंधन में न दोस्त-न मेहमान
तुम कब जाओगे कोरोना!
हमने भी सीख लिया हैं मास्क पहनना,
और शुरू कर दिया योगासन द्वारा स्वस्थ रहना
तुम कब जाओगे कोरोना!
अलीशा का है तुमसे कहना-
भाग जाओ,नहीं तो आ गई है अब वैक्सीन,
फिर नहीं चल पाएगा तुम्हारा कोई सीन
भई अब तुम जाओ कोरोना,जाओ कोरोनाll

परिचय-अलीशा सक्सेना का जन्म १अगस्त २००६ को इंदौर(म.प्र.) में हुआ है। वर्तमान में इंदौर में ही स्थाई डेरा है। फिलहाल निजी विद्यालय में कक्षा ८ में अलीशा अध्ययनरत है। सामाजिक गतिविधि के अंर्तगत शिक्षा के साथ अच्छे संस्कार सीखने में सक्रियता है। अनेक रचनाएं बाल पत्रिका एवं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। जीव-जंतु और आसपास की घटनाओं से प्रेरित होकर लेखन करने में अग्रणी अलीशा की लेखन विधा-कहानी,कविता और लघुकथा है। शिक्षा के साथ खेलकूद एवं अन्य प्रतियोगिताओं में अग्रणी अलीशा को विद्यालय में कईं सम्मान प्राप्त हुए हैं। लेखनी का उद्देश्य-मन के भावों को अभिव्यक्ति देना है।

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