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नारी तुम जीवन हो

ऋचा सिन्हा
नवी मुंबई(महाराष्ट्र)
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नारी तुम जीवन हो मेरा,
तुझ बिन ख़ुद को पाऊँ अकेला।

तुम नारी माता प्यारी,
तुमसे ही है जीवन मेरा
तुम बिन कैसे आता जहाँ में,
तुम बिन कैसे जीता जहाँ में
उंगली पकड़कर चलना सिखाया,
दुनिया की रस्मों को पढ़ना सिखाया।

तुम नारी हो बहना प्यारी,
तुमसे ही है जीवन मेरा
लड़ती थी मुझसे झगड़ती थी मुझसे,
मेरी नखरों को सहती थी ख़ुद से
मेरी कलाई पे बाँधा था धागा,
हर एक नज़र से बचना सिखाया।

तुम नारी हो पत्नी प्यारी,
तुमसे ही है जीवन मेरा
मेरे प्यार में अपने घर को है छोड़ा,
अपनी हर ख़ुशी को मुझसे ही जोड़ा
मेरे जीवन को आकर सजाया,
अपने प्रेम से जीवन महकाया।

तुम नारी हो बेटी प्यारी,
तुमसे ही है जीवन मेरा
जिस दिन से तू घर में आईं,
हर कोने में रौनक लाई।
तुम हो मेरी आँखों का तारा मुख्य,
तुमने आकर जीवन को सजाया॥

परिचय – ऋचा सिन्हा का जन्म १३ अगस्त को उत्तर प्रदेश के कैसर गंज (जिला बहराइच) में हुआ है। आपका बसेरा वर्तमान में नवी मुम्बई के सानपाड़ा में है। बचपन से ही हिंदी और अंग्रेजी साहित्य में रुचि रखने वाली ऋचा सिन्हा ने स्नातकोत्तर और बी.एड. किया है। घर में बचपन से ही साहित्यिक वातावरण पाने वाली ऋचा सिन्हा को लिखने,पढ़ने सहित गाने,नाचने का भी शौक है। आप सामाजिक जनसंचार माध्यमों पर भी सक्रिय हैं। मुम्बई (महाराष्ट्र)स्थित विद्यालय में अंग्रेज़ी की अध्यापिका होकर भी हिंदी इनके दिल में बसती है,उसी में लिखती हैं। इनकी रचनाएँ विभिन्न पत्रिकाओं में छप चुकीं हैं,तो साझा संग्रह में भी अवसर मिला है।

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