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यादें

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

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“पापा आपसे कुछ नहीं बनता है! दवा भी नहीं पी पा रहे हैं! और चम्मच में भरी सारी दवा ही फैला दी! ऐसा कैसे चलेगा ?” जवान बेटे ने बिस्तर पर लेटे सत्तर वर्षीय रिटायर्ड बाप को डपटते हुए कहाl
“हाँ बेटा,दिक्कत तो है!” बुदबुदाते हुए पिता बोलेl
“लगता है कि धीरे-धीरे पापा की याददाश्त जा रही है!” धीरे से बेटे ने अपनी पत्नी की ओर मुखातिब होते हुए कहाl
पर यह बेटे का भ्रम था! पिता को गुज़रे वक़्त के सारे वाकये याद थेl वे बेटे के बचपन के दिनों में पहुंच गएl बेटा अब नन्हें बालक के रूप में उनके सामने था,और तीन पहिये की साइकिल चलाने की कोशिश कर रहा थाl
“पापा-पापा,मुझसे नहीं बनेगी यह साइकिल चलाते! मैं तो बार-बार गिर जाता हूँ!” बेटे ने तुतलाते हुए कहा!
“नहीं बेटा,ज़रूर बनेगी! क्यों नहीं बनेगी ?अरे मेरा स्ट्रॉंग बेटा सब कुछ कर सकता है! मेरा बेटा,न केवल एक दिन साइकिल के साथ मोटर साइकिल,कार चलाएगा,बल्कि-बल्कि-बल्कि बड़ा होकर मेरा भी सहारा बनेगा!”
यादों की परतें खुलते ही पिता की आँखें भर आईं! वे वर्तमान में वापस लौट आए,और हिम्मत जुटाकर ख़ुद का सहारा ख़ुद बनने की तैयारी करने लगेl

परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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