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प्रेम में गुम रहो

डॉ.भारती वर्मा बौड़ाई,
देहरादून (उत्तराखंड)
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काव्य संग्रह हम और तुम….

प्रेम में
कम मिलो,
दूरियों में प्रेम को
अधिक अनुभव करो।
प्रेम में
कम कहो,
मौन में प्रेम अनुभव करो।
प्रेम में
प्रेम में गुम रहो,
प्रेम को
स्वयं मत ढूँढो।
प्रेम तुम्हारा है तो
स्वयं तुम्हें ढूँढता,
तुम्हारे पास आएगा
बँधोगे,
तो दूर चला जाएगा।
प्रेम मुक्त हो
गुनगुनाता है,
बंदिशों में
साथ की अति में,
दम तोड़ जाता है।
प्रेम को
अपना गीत गाने दो,
पंछियों की तरह
दूर-दूर तक उड़ कर,
वापस अपने नीड़ में आने दो॥

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