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पहली मुलाकात

श्रीमती प्रिया वर्मा
बेंगलोर(कर्नाटक)
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मित्र मैं कुछ समझ नहीं पाई,तूने यह क्या किया,
पहली मुलाकात में ही तूने तो मेरा दिल ले लिया।

जब से तुझे देखा है सनम,उस झील के पार,
उस मुलाकात से मेरा दिल है तेरे लिए बेकरार।

आओ गले लग जाओ,प्यार का मीठा गीत सुनाओ,
दिल की बातें सुनाओ,मेरी भी बातें सुन के जाओ।

आ जाओ पिया तुम फिर से उसी झील के तट,
मन की बातें पिया हम दोनों करें लेंगे झट-पट।

पहली मुलाकात का,कैसा था पल सुहावना,
कब हो गई अँखियाँ चार,कोई नहीं जाना।

तेरी साँसों की खुशबू पिया में भूल ही नहीं पाती,
तेरी बाँहों में झूल जाना,तेरी याद बहुत याद आती॥

पहली मुलाकात के दिन मस्त हवा का झोंका था,
नहीं कोई जान सका,नहीं किसी ने रोका था।

सुहानी चाँदनी रात थी,पिया तारों की बारात थी,
पहली मुलाकात की थी,खुशियों की बरसात थी।

नहीं भूलूँगी मैं मित्र तेरे आँगन और चुम्बन को,
नहीं टूटने दूंगी पहली मुलाकात के बंधन को।

जब याद मेरी आए मित्र मिलने तुम आ जाना,
बीती कल की बातों को फिर से तुम दुहरा जाना॥

परिचय – श्रीमती प्रिया वर्मा का शौक कविता लेखन है,साथ ही गीत-भजन गाना भी पसंद है। इनका निवास बैंगलोर (कर्नाटक)में है। आप स्नातकोत्तर तक शिक्षित एवं निजी विद्यालय में शिक्षक हैं।

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