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उनकी होली की शान

श्रीमती पुष्पा शर्मा ‘कुसुम’
अजमेर(राजस्थान)
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याद रहे,उनकी होली की शान,
देशहित हो गये जो बलिदान।

कितने वादे,कितनी खुशियाँ ?
कितने नाते,कितनी कमियाँ ?
कितने! अधूरे रह गये अरमान।
देश हित…॥

सेवा जननी और जनक की,
वचन भगिनी रक्षा संगिनी की
बिखरा,बच्चों सिर तना वितान।
देशहित…॥

सरहद की रक्षा प्रण ठाने,
मातृभूमि बलिवेदी माने।
निछावर आहुतियों में प्राण,
देशहित…॥

सींच दिया,शोणित से भू को,
चकित शौर्य से कर दियाअरि को।
बना तिरंगा कफन,वीर की शान,
देशहित…॥

कर्ज आज,उनका अपने पर,
याद करें हम, सदा नयन भर।
दें,अमर शहीदों को सम्मान,
याद रहे उनकी होली की शान।
देशहित हो गये जो बलिदान॥

परिचय  : श्रीमती पुष्पा शर्मा का साहित्यिक उपनाम-कुसुम और जन्मतिथि-२४ जुलाई १९४५ है। राजस्थान राज्य के कुचामन(जिला-नागौर)शहर में जन्मीं श्रीमती शर्मा वर्तमान में हरीभाऊ उपाध्याय नगर-अजमेर(राजस्थान) में निवासरत हैं। आपकी शिक्षा-एम.ए.और बी.एड. है। कार्यक्षेत्र में आप राजस्थान के शिक्षा विभाग से सेवानिवृत व्याख्याता(हिन्दी विषय)हैं।सामाजिक गतिविधि में वृद्धाश्रमों की यथासंभव सेवा कार्य सेवा समूह के माध्यम से करती हैं,तो अन्ध विद्यालय और बधिर विद्यालय आदि से भी जुड़कर कार्यरत हैं। लेखन में दोहे,मुक्त पद और सामान्य गद्य के साथ ही आप चौपाई,घनाक्षरी,रोला आदि छंदबद्ध एवं छंदमुक्त,अतुकांत, गीत आदि और गद्य में संस्मरण, लघुकथा,समालोचना एवं साक्षात्कार आदि रचती हैं। सोशल मीडिया के तहत चुनिंदा साहित्यिक समूहों के माध्यम से भी काव्य सृजन करती हैं। आपकी रचनाओं का प्रकाशन वेब पोर्टल के साथ ही कुछ साहित्यिक ई-पत्रिका व अन्य में भी हो चुका है। संस्थाओं द्वारा विभिन्न लेखन व प्रतियोगिता पर आपको सम्मानित किया गया है। आपकी लेखनशीलता का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है।

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