सारा संसार सजाना है

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ हम एकसाथ बैठे जिसमें,वह नौका पार लगाना हैहो भारत एक श्रेष्ठ भारत,सपना साकार बनाना है। न ही निर्धनता का क्रन्दन हो,न ही जाति-धर्म का बन्धन होजिस पर न…

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आ जाए बचपन…

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* बचपन की वो उछल-कूद और धमाचौकड़ी,फिर कहाँ आएगी जीवन में ऐसी घड़ी। आपसी छीना-झपटी और धींगा-मस्ती,सबसे बड़ी होती है तब हमारी हस्ती। जो भी…

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बुढ़ापा

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* गुज़रा ज़माना नहीं, वर्तमान भी होता है बुढ़ापा,सचमुच में चाहतें, अरमान भी होता है बुढ़ापा। केवल पीड़ा, उपेक्षा, दर्द, ग़म ही नहीं,असीमित, अथाह सम्मान भी होता…

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गुल खिला होता

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** विधाता छँद आधारित.... दरिया प्यार का बहता सुकूँ का गुल खिला होता,बवाली जात आदम, काश! अमन से तू भरा होता। मुरव्वत से अगर रहते कज़ा हँसती हुई…

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साख बनाओ

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** साख बनाओपुरुषार्थ प्रेरणानाम कमाओ। भला करनाजीवन अनमोलनहीं भूलना। लेना संकल्पकरेंगे समाज मेंनव प्रकल्प। सदा चमकेस्वर्णिम हो भारतनित दमके। देना सम्मानमान सबका करेंहो स्व का मान। मत भूलनाभू…

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धन्यवाद ज्ञापन पितर

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************************************************** पावन मंगल भोर यह, पितृपक्ष जलदान।तर्पण-अर्पण पितर का, पुण्य अर्घ्य दें मान॥ पितरों को श्रद्धा प्रकट, तील कुश फलदान।पाऍं आशीर्वाद को, देकर कुल सम्मान॥…

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आजादी का ताज

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* कहते हो सभी मुझे पूज्य बापू जी, तो सुन लो मेरी बात,तेरे ही भरोसे मैंने मारी है दुश्मनों के मुँह में तीखी लात। हे प्यारे बच्चों…

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जागृत उपहार

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** कद-काठी में बड़े-छोटे से,नहीं थी कोई कमी कहींउनमें भरपूर था देश के लिए,खूब मान व सम्मानराष्ट्रीयता को जागृत कर,माँ भारती की बढ़ा दी थीअद्भुत आन-बान और शान। गुणों से…

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पर आप तो…!

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’बूंदी (राजस्थान)************************************************** डर लग रहा है…!हाँ…!! लग रहा हैडरपोक हो……!हाँ…हूँ,….!!!!!क्योंकि,….!!बाल बच्चेदार जो हूँ..!!जिम्मेदारियाँ हैं…!!अभी कई मुझ पर…,आंदोलन नहीं कर सकता…क्रांति का…। क्रांति की तो,सोच भी नहीं…

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पहाड़

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** पेड़ों की पत्तियाँ झड़ रही,मद्धम हवा के झोंकों सेचिड़िया विस्मित चहक रही,वसंत तो आया नहीं। आमों पर मोर फूल की मद्धम खुशबू,टेसू से हो रहे पहाड़ के…

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