मुहब्बत की निशानी…

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरीकुशीनगर(उत्तर प्रदेश) ******************************************** मुहब्बत की निशानी ढूँढता हूँ।वही अपनी जवानी ढूँढता हूँ। कभी ख़त तो कभी तस्वीर उसकी,सभी चीजें पुरानी ढूँढता हूँ। शहर में,गाँव में,सारे जहाँ में,छुपा चेहरा…

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किसी और का हूँ

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरीकुशीनगर(उत्तर प्रदेश) ***************************************************** मुझे यूँ न देखो कुँवारा नहीं हूँ,किसी और का हूँ तुम्हारा नहीं हूँ। न छत पे बुलाओ मुझे रात में तुम,मैं इंसान हूँ चाँद-तारा नहीं…

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छीन लेता है

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरीकुशीनगर(उत्तर प्रदेश) ***************************************************** कभी रोटी कभी कपड़े कभी घर छीन लेता है,हमारी नौकरी ही वो सितमगर छीन लेता है। महल के वास्ते ज़ुल्मों सितम की इन्तेहाँ देखो,लगा कर…

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वे मुझे रात भर याद आते रहे

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरीकुशीनगर(उत्तर प्रदेश) ***************************************************** वे मुझे रात भर याद आते रहे,और लम्हें सभी मुस्कुराते रहे। भूलकर वे कभी याद करते नहीं,इश्क़ में क्यों उन्हें गुनगुनाते रहे। इक सनम के…

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यूँ मत आग लगाया कर

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरीकुशीनगर(उत्तर प्रदेश) ************************************************************* बस मुझको नहीं बुलाया कर,मेरे घर भी तू आया कर। पिज़्ज़ा बर्गर के दीवाने,तू रोटी-सब्जी खाया कर। तू भी ऊपर उठ जायेगा,लोगों को जरा उठाया…

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चालाकियाँ इंसान की

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरीकुशीनगर(उत्तर प्रदेश) ************************************************************* हम समझ पाते नहीं चालाकियाँ इंसान की,हो गयी बंजर जमीं अब दोस्तों ईमान की। लाख सिक्के ले के आओ मामला गंभीर है,इस तरह कुछ डॉक्टर…

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मज़दूर

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरीकुशीनगर(उत्तर प्रदेश) ************************************************************* बनाता वाहनों को है वो इक मज़दूर होता है,मगर पैदल ही चलता है बहुत मजबूर होता है। बनाता है किला वो ताज,मीनारें,पिरामिड भी,मगर गुमनाम रहता…

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कितने गड्ढे…

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरीकुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** कितने गड्ढे आजकल,सड़कों पर हर ओर।चलना मुश्किल हो गया,सुबह रात या भोर।सुबह रात या भोर,चोट लगने का डर है।घर से मीलों दूर,सुनो अपना दफ्तर है।महँगा…

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यकीन रखो तुम

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरीकुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** मान लिया जब दूर हुए तब लक्ष्य तुझे लगते सपने से,धीरज किन्तु रखो मन में यह दर्द बढ़ेगा सदा जपने से,कष्ट हजार सहो पर यार…

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इस तरह दिल…

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरीकुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** इस तरह दिल चुराने लगी,वो मुझे गुनगुनाने लगी। हो गयी क्या मुहब्बत उसे,गेसुओं को सजाने लगी। अश्क़ बहने लगे इश्क़ में,और वो मुस्कुराने लगी। जान…

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