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डॉगी का बिस्कुट

डॉ.शैल चन्द्रा
धमतरी(छत्तीसगढ़)
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“अम्मा,हम लोगों की जात क्या है ?”
नन्हा मोनू पूछ रहा था।
“क्यों तुझे जात का क्या करना है ?” अम्मा ने झुंझलाते हुए कहा।
“वो गली के मोड़ पर जो बड़ी बिल्डिंग है न,जिनके यहाँ डॉगी है। आज मैं उनके डॉगी के साथ खेल रहा था। उन्होंने अपने डॉगी को ढेर सारा दूध और बिस्कुट खाने को दिया था। मैंने चुपके से डॉगी का एक बिस्कुट खा लिया। आंटी ने मुझे बिस्कुट खाते देख लिया,फिर उन्होंने मुझे खूब डांटा और अपने आँगन से भगा दिया। कहा-“चल भाग यहां से,न जाने किस जात का है ? कुत्ते की बिस्कुट खा गया ?” बताओ न अम्मा हमारी जात क्या है ?”
यह सुनकर माँ की आँखों में आँसू छलक आये। वे आँसू पोछतीं हुई बोली-“बेटा,जातियां तो बहुत होती हैं पर हम गरीबों की जाति सिर्फ और सिर्फ गरीबी होती है।”
अम्मा की बात सुनकर मोनू के चेहरे पर उदासी छा गई।

परिचय-डॉ.शैल चन्द्रा का जन्म १९६६ में ९ अक्टूम्बर को हुआ है। आपका निवास रावण भाठा नगरी(जिला-धमतरी, छतीसगढ़)में है। शिक्षा-एम.ए.,बी.एड., एम.फिल. एवं पी-एच.डी.(हिंदी) है।बड़ी उपलब्धि अब तक ५ किताबें प्रकाशित होना है। विभिन्न कहानी-काव्य संग्रह सहित राष्ट्रीय स्तर के पत्र-पत्रिकाओं में डॉ.चंद्रा की लघुकथा,कहानी व कविता का निरंतर प्रकाशन हुआ है। सम्मान एवं पुरस्कार में आपको लघु कथा संग्रह ‘विडम्बना’ तथा ‘घर और घोंसला’ के लिए कादम्बरी सम्मान मिला है तो राष्ट्रीय स्तर की लघुकथा प्रतियोगिता में सर्व प्रथम पुरस्कार भी प्राप्त किया है।सम्प्रति से आप प्राचार्य (शासकीय शाला,जिला धमतरी) पद पर कार्यरत हैं।

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