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नारी

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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रचनाशिल्प: प्रत्येक चरण में ५+५=१० मात्रा…

तुम नार अभिजात,
गृह सेवा दिनरात
करे उफ न थकान,
अधर पर मुस्कान।

न कोमल कमल कली,
वह वज्र हिय पली
छू पीर भामिनी,
प्रेरणा स्वामिनी।

नवभाव अनुभूति,
रच सृजन प्रसूति
कभी शिशु व वनिता,
कभी रच सुकविता।

कभी थी खिलाड़ी,
कहाती अनाड़ी
निपुण थी नृत्य जो,
बनी गृह भृत्य वो।

मायका गुनभरी,
ससुराल अधखरी
स्त्री सदा अनमोल,
बोली न कटु बोल।

दो न गम बच आह,
नारी न रख चाह।
देविका दानवी,
चाह रख मानवी॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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