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बात-बात पे आँख दिखाता है…

केवरा यदु ‘मीरा’ 
राजिम(छत्तीसगढ़)
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(रचनाशिल्प:मात्रा भार २४)

कल पिलाया दूध उन्हें आँख दिखाता है।
उँगली पकड़ चलाया राह तू बताता हैl

जिगर का टुकड़ा था कल तक तू माँ-बाप का,
वृद्धाश्रम में ले जाकर आज बिठाता है।

कल तक माँ-माँ करता फिरता आगे-पीछे,
अब उसी को बात-बात पे आँख दिखाता है।

पेट काट कर अपना तुझे खिलाती है माँ,
दो रोटी को तू उस माँ को आज तरसाता है।

तुझको चोट लगे तो माँ रोया करती थी,
उसी माँ को आज तू थप्पड़ दिखाता है।

दो जोड़ी कपड़े में बाप ने किया गुजर,
कोठी बंगला कार का रौब दिखाता है।

तुझे मुबारक तेरी खुशियाँ खुश तू रहे,
सूखी रोटी में भगवान नजर आता हैll

परिचय-केवरा यदु का साहित्यिक उपनाम ‘मीरा’ है। इनकी जन्म तारीख २५ अगस्त १९५४ तथा जन्म स्थान-ग्राम पोखरा(राजिम)है। आपका स्थाई और वर्तमान बसेरा राजिम(राज्य-छत्तीसगढ़) में ही है। स्थानीय स्तर पर विद्यालय के अभाव में आपने बहुत कम शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में खुद का व्यवसाय है। सामाजिक गतिविधि के तहत महिलाओं को हिंसा से बचाना एवं गरीबों की मदद करना प्रमुख कार्य है। भ्रूण हत्या की रोकथाम के लिए ‘मितानिन’ कार्यक्रम से जुड़ी हैं। आपकी लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल सहित भजन है। १९९७ में श्री राजीवलोचन भजनांजली,  २०१५ में काव्य संग्रह-‘सुन ले जिया के मोर बात’,२०१६ में देवी भजन (छत्तीसगढ़ी में)सहित २०१७ में सत्ती  चालीसा का भी प्रकाशन हो चुका है। लेखनी के वास्ते आपने सूरज कुंवर देवी सम्मान,राजिम कुंभ में सम्मान,त्रिवेणी संगम साहित्य सम्मान सहित भ्रूण हत्या बचाव पर सम्मान एवं हाइकु विधा पर भी सम्मान प्राप्त किया है। केवरा यदु के लेखन का उद्देश्य-नारियों में जागरूकता लाना और बेटियों को प्रोत्साहित करना है। इनके जीवन में प्रेरणा पुंज आचार्यश्रीराम शर्मा (शांतिकुंज,हरिद्वार) व जीवनसाथी हुबलाल यदु हैं। 

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