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लोक पर्व ‘गोबरधन’

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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‘गोधन पशुधन धन बड़े,कृष्ण बढ़ाये मान!
व्यापक गोबरधन हुआ,करिये मान सुजान!!’
‘गोवर्धन’ को हम ‘गोबरधन’ भी कहते रहें तो क्या हानि है। गोवर्धन एक व्यापक शब्द है जो हमें गो(पृथ्वी),गोवंश एवं किसान के प्रति सम्मान व संरक्षण का बोध कराता है ।
‘गोबरधन’ और भी व्यापक शब्द है,जो हमें समस्त पशुधन व किसान,कृषक,कृषिकर्मी एवं मजदूर सभी के सम्मान,स्वाभिमान व संरक्षण का बोध करवाता है । कृष्ण का पर्वत धारण कर जन रक्षा करना हमारे सैनिकों के सम्मान त्याग बलिदान व शौर्य का सूचक है। हम मुंशी प्रेमचंद के साहित्य में खेत,गाँव,गोबर कृषक,गाय,मजदूर के दृश्य देख लें,चाहे हमारी संस्कृति में पंचामृत,हवन,पूजा,चौका,आँगन और आयुर्वेद में गोबर का पंचगव्य महत्व देख लें। चाहे कृषि व खाद में गोबर व पशुधन का महत्व देख लें,चाहे वर्तमान की जैविक कृषि देख लें,हम पशुधन,गोबर,कृषक को नकार नहीं सकते हैं। यदि भौतिकता की भूल-भूलैया में गो,गोधन या पशुधन को नकार दिया,तो भारत में बचा ही क्या। जहाँ ८० फीसदी आबादी गाँवों में रहती है,कृषि आधारित है,जहाँ मानव आबादी से अधिक पशुधन संख्या है तो ऐसे देश में गोधन-पशुधन का महत्व स्वयं सिद्ध है। हमारी अन्नपूर्णा धरती,हमारा अन्नदाता कृषक और हमारा पशुधन एवं हमारे सैनिक इन सबके मान-सम्मान,स्वाभिमान व संरक्षण का पर्व है ‘गोबरधन।’ हमारा देश कृषि प्रधान देश है। कृषि प्रधान देश की रीढ़ होता है पशुपालन। अतः,हम गोबर से घिन न करें, महत्व समझें व सदुपयोग करें। मैदानी इलाके में गाय-भैंस का अपना महत्व है,तो रेगिस्तान में भेड़ बकरियाँ,ऊँट ही गोधन का विकल्प हैं। बर्फीले ठंडे इलाके में याक जैसे पशु ही गोधन या पशुधन का महत्व रखतें है। ‘दीपावली’ भारत का प्रमुख पर्व है,सही है, परन्तु गोबरधन भारत का व्यापक लोक पर्व है। यह उदारता का पर्व है,गरीब,किसान, मजदूर,सैनिक,खेत,पशुधन,वनस्पति,पक्षी,
समस्त प्राणी जगत का पर्व है। आओ,आज सभी गो,गोधन-पशुधन हित,कुपोषित,सड़कों पर आवारा विचरते पशुधन के संरक्षण हित में चिंतन-मनन करते हुए गोबरधन पूजन करें। सारा देश विविधता में एकता का दर्शन कराता आज किसी न किसी रूप में यह पर्व मना रहा है,यही हमारी मिसाल है,तभी तो मेरा देश महान है-
‘गो गोधन से सज रही,मात समान विचार!
गोबर से उपजे फसल,गोबरधन त्यौहार!!’

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा हैl आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) हैl वर्तमान में सिकन्दरा में ही आपका आशियाना हैl राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन(राजकीय सेवा) का हैl सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैंl लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैंl शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया हैl आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः हैl

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