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साज सजने लगे

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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साज सजने लगे गीत बजने लगे,
ढोल के बोल पर वो थिरकने लगे
उनके हाथों में मेहंदी सजने लगी,
उनके पाँवों में पायल भी बजने लगी।

बागों में हुई भँवरों की गुँजार है,
जैसे शुभ शगुनों की कोई सौगात है
वसंत आने को है मुस्कुराने को है,
शादियों की ऋतुएं भी आने को है।

साधना की परिणिति हुई आज है,
प्रीति प्यारे की मिली कोई सौगात है
चाँद-सूरज भी देखो हुए साथ है,
अपने हाथों में उनका लिये हाथ हैं।

स्नेह पूरित क्षणों की जो सौगात है,
घर पर आने को उनकी बारात है
मुस्कुराती रहूँगी मैं हर पल वहाँ,
यही सोच के दुल्हन भी जाने को है।

कहारों के काँधे जो डोली चली,
भाल के दुल्हनों की लकीरें बनी
अपने बाबा के आँगन की नाजुक कली,
खुश होती हुई उनके घर को चली।

राजरानी बनूँगी मैं उनके महल की,
उनके घर को में अपना एक घर ही कहूँगी,
उनके बाबा को अपने ही बाबा समझ,
उनकी माता की में एक बेटी बनूँगी।

पर उनके दिलों को जो बाँटे हुए,
जिन्हें अपना में समझी वे काँटे हुए
उन सामानों का मुझसे वे लेखा लिये,
बाबा अपने ने जो कुछ निशानी दिए।

अपने बाबा की में एक चाहत-सी थी,
आकर हुई में यहाँ बड़ी आहत-सी थी
माँ की ममता की जो एक सी थी,
एक कड़वी चुनौती भरी सास थी।

डोलियाँ दुल्हनों की यूँ सजती रही,
पर साजो-सामानों तक सिमटती रही
सूची की श्रृंखला में कमी आई तो,
अग्नि की ज्वाला बन वो धधकती रही॥

परिचय- डॉ. गायत्री शर्मा का साहित्यिक नाम ‘प्रीत’ है। २० मार्च १९६५ को इन्दौर में जन्मीं तथा वर्तमान में स्थाई रुप से इन्दौर (मध्यप्रदेश )में रहती हैं। आपको हिंदी भाषा का ज्ञान है। एम.ए. (अर्थशास्त्र) तक शिक्षित डॉ. शर्मा का कार्य क्षेत्र-गृहिणी का है,तो सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत अनेक सामाजिक संस्थाओं से जुड़ कर समाज के लिए कार्य करती हैं। कई साहित्यिक संस्थाओं में पदों पर रहते हुए आप भारतीय कला,संस्कृति व समाज के लिए काम कर रही हैं। कई समाचार पत्र-पत्रिका में इनकी अनवरत रचनाओं का अनवरत प्रकाशन हो रहा है। सम्मान-पुरस्कार में विद्या वाचस्पति सम्मान, सुलोचिनी लेखिका पुरस्कार सहित कोरबा के जिलाधीश से सम्मान प्राप्त हुआ है तो कई संस्थाओं से भी अनेक बार अखिल भारतीय सम्मान मिले हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय स्तर की कई साहित्यिक व सामाजिक संस्थाओं से सम्मान,आकाशवाणी से कविता का प्रसारण औऱ अभा मंचों पर काव्य पाठ का अवसर प्राप्त होना है। डॉ. गायत्री की लेखनी का उद्देश्य-समाज और देश को नई दिशा देना,देश के प्रति भक्ति को प्रदर्शित करना,समाज में फैली बुराइयों को दूर करना, एक स्वस्थ और सुखी समाज व देश का निर्माण करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महादेवी वर्मा को मानने वाली डॉ. शर्मा कै लिए प्रेरणापुंज-तुलसीदास जी,सूरदास जी हैं । आपकी विशेषज्ञता-गीत,ग़ज़ल,कविता है।
देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“देश प्रेम व हिंदी भाषा के प्रति हमारे दिल में सम्मान व आदर की भावना होना चाहिए। मेरा देश महान है। हमारी कविताओं में भी देश प्रेम की भावना की झलक होनी चाहिए। हिंदी के प्रति मन में अगाध श्रद्धा हो,अंग्रेजी को त्याग कर हिंदी को अपनाना चाहिए।”