कुल पृष्ठ दर्शन : 112

राष्ट्रीय शिक्षा नीति–२०१९ के प्रारुप में मातृ-भाषा,भारतीय भाषाओं के माध्यम व भाषा शिक्षण के बिंदु

 

मुंबईl

यह प्रसन्नता का विषय है कि भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष एवं इसके वर्तमान सलाहकार के.कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में गठित शिक्षाविदों व विद्वानों की समिति द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति – २०१९ का प्रारुप प्रस्तुत कर दिया गया है।

वैश्विक हिंदी सम्मेलन के निदेशक डॉ.एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’ ने बताया कि, समिति द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रारुप बनाने से पूर्व जब जनता के सुझाव आमंत्रित किए गए थे,तब ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ द्वारा इस संबंध में पहल करते हुए इस विषय पर कई अंकों में ई-संगोष्ठियों के माध्यम से भारतीय भाषा-प्रेमी विद्वानों के विचार आमंत्रित कर न केवल ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ के माध्यम से इसके सोशल मीडिया समूहों से जुड़े विश्वभर के करीब १५०० सदस्यों तक पहुंचाए गए थे,बल्कि अन्य सोशल मीडिया समूहों,वेब पोर्टल व पत्र-पत्रिकाओं आदि के माध्यम से जनता के बीच पहुंचाने के साथ-साथ प्रारूप समिति के अध्यक्ष के.कस्तूरीरंगन को भी भेजे गए थे। आपने बताया कि यह संतोष का विषय है कि,राष्ट्रीय शिक्षा नीति-२०१९ के प्रारुप में शिक्षा के माध्यम एवं भाषा–शिक्षण के संबंध में मातृभाषा व भारतीय-भाषा प्रेमियों के दृष्टिकोण को कुछ हद तक स्वीकार किया गया है। मातृभाषा व भारतीय-भाषा प्रेमियों की सुविधा के लिए ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति–२०१९ के प्रारुप में से भाषा संबंधी संस्तुतियों को अलग किया गया है। सभी मातृभाषा व भारतीय-भाषा प्रेमी विद्वानों से अनुरोध है कि,आप इनका अध्ययन कर अपने विचार,टिप्पणी व सुझाव ई-मेल पर भेजें,ताकि ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ के मंच से इन्हें देश-विदेश के भाषाप्रेमियों,शासन-प्रशासन व सांसदों आदि तक पहुंचाया जा सके और इस संबंध में सार्थक राष्ट्रीय बहस हो सके।

(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन,मुंबई)

Leave a Reply