अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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आज तम तो
उजाला भी आएगा
जीत पाएगा।
आगे बढ़ना
मंज़िल से न डर
काम करना।
समझो वक्त
जो गुजर गया हो
लौटता नहीं।
जग जानता
डर कर क्या मिला ?
तो आगे बढ़ो।
सुख-सुविधा
पर मुख्य लक्ष्य भी
ना हो दुविधा।
फैलाओ पर
उड़ो खुल के तुम
डर किसका ?
मूल्य रखना
पथ से ना भटको
रास्ता देखना।
बीज था अच्छा
फसल आई नहीं
थी भू कठोर।
राजनीति से
कब हुआ है भला!
देश संभालो।
मन कठोर
तो कैसे होगा भला!
बनो विनम्र॥