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आत्मविश्वास बढ़ाना ही सफलता

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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जन्म से कोई हर बात सीख कर नहीं आता, जैसे चलने से पहले गिरना जरूरी है, तभी वह चलने का महत्व समझता है। अज्ञानता तब तक रहती है, जब तक वह उस बात को नहीं जान लेता है। इस प्रकार बच्चे के लिए जीवन की पहली पाठशाला बचपन होती है। इस समय वह कच्ची मिट्टी जैसा होता है, जैसे उसे मोड़ना चाहें, मुड़ जाता है, ढल जाता है। यह बच्चों के लिए बहुत नाजुक समय होता है। सफल होने के लिए बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ना बहुत जरूरी है। अगर आपको लगता है कि बच्चे में आत्मविश्वास कम है, तो कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि आत्मविश्वास हर व्यक्ति के लिए जरूरी है। जीवन में सफल होने के लिए यह ऐसी चीज है, जो बचपन से सीखनी पड़ती है। अगर लगता है कि, बच्चे में आत्मविश्वास की कमी है, तो इसको थोड़ा गंभीरता से लेना चाहिए। हालांकि, चिंता करने की जरूरत नहीं हैं। कुछ बातों का ध्यान रखकर आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ा सकते हैं।
बच्चा कोई भी नया काम करने से कतराता है, तो जाहिर है कि उसमें आत्मविश्वास की कमी है। इसे बढ़ाने का सबसे सही तरीका यही है कि उसे खुद करके दिखाएं।
ऐसे ही बच्चा कुछ काम करने की कोशिश कर रहा है, तो उसकी प्रशंसा करनी बहुत जरूरी हैं। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं कि जरूरत से ज्यादा प्रशंसा करें। जरूरत से ज्यादा तारीफ करना बिलकुल तारीफ न करने से भी खतरनाक है।
आप जैसा बच्चे को बनाना चाहते हैं, खुद भी वैसा ही बनना पड़ेगा। बच्चे के लिए सबसे पहले रोल मॉडल उसके अभिभावक होते हैं। अगर आप चाहते हैं कि, बच्चा आत्मविश्वास बनाए, तो आपको भी ऐसे ही काम करने होंगे जिससे बच्चे को लगे कि आपमें आत्मविश्वास कूट-कूट कर भरा हुआ है।
बच्चे को सीखने में मदद मिलेगी अगर आप उसे सीखने के लिए पर्याप्त समय दें। अगर बच्चा कोई काम आत्मविश्वास से नहीं कर पा रहा है, तो उसके साथ जबरदस्ती न करें। इससे बढ़ने की बजाय कम होने लगता है, इसलिए ऐसा कभी नहीं करना चाहिए।
हार हमारे जीवन का एक बहुत महत्वपूर्ण पहलू है, जिससे हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। अगर बच्चा कभी हार स्वीकार नहीं कर पा रहा है, तो वह जीत भी नहीं पाएगा। हारने के बाद भी जिसका आत्मविश्वास न डगमगाए, वह बच्चा सफल हो जाएगा। वर्तमान काल में मोबाइल, लेपटॉप, इंटरनेट से मन चंचल होने से एकाग्रता की कमी से भी आत्मविश्वास डिगने लगता है, इसलिए इस समय हमें अधिक जागरूकता की जरुरत है।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।

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