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आया पावन सावन…

डॉ.अनुज प्रभात
अररिया ( बिहार )
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पावन सावन-मन का आँगन….

सावन का नाम सुनते ही मन के भीतर कई तरह की तरंगें अंगड़ाईयां लेने लगती हैं। मन मस्ती में झूम उठता है। वास्तव में यह मौसम ही कुछ ऐसा है, जिसके दृश्य आँखों को तृप्त तो करते ही हैं, मन को भी प्रफुल्लित‌ कर देता है। एक प्रकार से यह प्यार का मौसम‌ होता है। यह प्रेमी-प्रेमिका, साजन-सजनी, सखी-सहेली जैसे संबंधों के प्रेम गीतों का मौसम होता है। इसमें झूले की पेंशन के साथ राधा -कृष्ण के गीत भी होते हैं। विरह और प्रेम भी इस मौसम की एक प्रकृति होती है। इस मौसम में हरी-भरी धरती होती है तो आसमान में बादल भी गरजते हैं। नन्हीं-नन्हीं पानी की बूंदें टपकती है तो वर्षा की झड़ी भी लग जाती है। इसे राग मल्हार का मौसम भी कहा जाता है और स्त्रियों के विशेष श्रंगार का मौसम होता है, जो हरे रंग‌ के वस्त्र और हरे कांच की चूड़ियाँ पहनने को अपना सौभाग्य मानती है।
सावन के संबंध में कुछ पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान् शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने पूरे सावन मास तक कठोरतम तप किया, जिस कारण उन्हें भगवान् शिव पति के रूप में मिले। इन्हीं मान्यताओं को लेकर हमारे देश में सनातन संस्कृति की कुवांरी कन्याएँ सावन के प्रति सोमवार को उपवास रखने के साथ-साथ शिवलिंग पर जलाभिषेक करतीं हैं, जिससे कि अच्छा वर मिल सके। विवाहित स्रियाँ भी सुखमय जीवन की कामना लेकर उपवास रखतीं हैं और शिव-पार्वती आराधना एवं पूजा शिव मंदिरों में जाकर करतीं हैं। इस माह में कांवरिया कांवड़ सजा, कांवड़ में जलभर कर पैदल यात्रा करते हुए विभिन्न मान्यता प्राप्त मंदिरों में शिवलिंग पर जल चढ़ाने जाते हैं और मन्नत भी मांगते हैं। ऐसी भी आस्था है कि, शिव-पार्वती पूजन का यह सर्वश्रेष्ठ मास है। इस मास में शिव-पार्वती सबसे अधिक प्रसन्न होते हैं और की गई मनोकामनाएं पूर्ण भी होती है। शास्त्रों के अनुसार इस मास का कोई भी दिन व्रत शून्य नहीं होता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस महीने में ही समुद्र मंथन हुआ था। उस मंथन में एक ओर देव-दानव दोनों थे, पर जब मंथन से विष निकला तो ग्रहण करने वाला कोई नहीं हुआ। ऐसे में भगवान् शिव ने उस विष को ग्रहण कर अपने कंठ में रख लिया। विष धारण करने के कारण उनका कंठ नीला हो गया और नीलकंठ‌ कहलाने लगे।
सावन को मल्हार गीतों का मास‌ भी कहा जाता है। मल्हार का उपयोग भारतीय संगीत में होता है। यह एक प्रकार का राग है। इसका अर्थ है वर्षा ऋतु में गाया जाने वाला राग। यह मुख्यतः ५ सुरों का राग है, किन्तु भारतीय संगीत विज्ञान के अनुसार मल्हार १८ रागों का भी समूह है जिसमें प्रेम, भक्ति-युक्त समर्पण भाव, और फल की भावना को लेकर जश्न मनाने हेतु गायन होता है।
ये सभी संभावनाएं सावन में ही बनतीं हैं और ‘पावन सावन आया’ भी इस मास को कहा जाता है। सावन के मनमोहक दृश्य और उसके प्रति उमड़ते भाव को लेकर बहुत सारी फिल्मों में गीत भी लिखे गए, छायांकन भी हुआ है। कई सारे एल्बम सावन के गीतों के भी बने हैं, जो लोकप्रिय हैं। जैसे- ‘आया सावन झूम के’, ‘रिमझिम के गीत सावन गाए’, ‘सावन का महीना पवन करे शोर…’ एवं लोकगीत आदि।
तात्पर्य यह कि वर्ष के बारह मासों में सबसे मधुर, मनभावन, सौन्दर्य भरा, ऋतुओं को मादक बनाने वाला सखी-सहेली, पिया-जिया, झूला-झूले आदि से शब्दों का महीना यदि कोई होता है तो पावन सावन होता है। इसका अंत सावन के पूर्णिया के दिन भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक रक्षा बंधन से होता है जिसके गीत ‘बहना ने भाई की कलाई में प्यार बांधा है, प्यार के दो तार से संसार बांधा है, काफी लोकप्रिय है। अर्थात पावन सावन में मन का आँगन खिल उठता है।

परिचय-एम.ए. (समाज शास्त्र), बी.टी.टी. शिक्षित और साहित्यालंकार सहित विद्यावाचस्पति व विद्यासागर (मानद उपाधि) से अलंकृत राम कुमार सिंह साहित्यिक नाम डॉ. अनुज प्रभात से जाने जाते हैं। १ अप्रैल १९५४ को अंचल नरपतगंज (अररिया, बिहार) में जन्मे व वर्तमान में अररिया स्थित फारबिसगंज में रहते हैं। आपको हिंदी, अंग्रेजी, मैथिली सहित संस्कृत व भोजपुरी का भी भाषा ज्ञान है। बिहार वासी डॉ. प्रभात सेवानिवृत्त (शिक्षा विभाग, बिहार सरकार) होकर सामाजिक गतिविधि में फणीश्वरनाथ रेणु समृति पुंज (संगठन) के संस्थापक सचिव और अन्य संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं। स्क्रीन राइटर एसोसिएशन (मुम्बई) के सदस्य राम कुमार सिंह की लेखन विधा-कहानी, कविता, गज़ल, आलेख, संस्मरण है तो पुस्तक समीक्षा एवं पटकथा लेखक भी हैं। आपके साहित्यिक खाते में प्रकाशित पुस्तकों में ‘बूढ़ी आँखों का दर्द’ (कहानी संग्रह), ‘नीलपाखी’ (कहानी संग्रह), ‘आधे-अधूरे स्वप्न’, ‘किसी गाँव में कितनी बार…कब तक ? (कविता संग्रह) सहित ‘समय का चक्र’ (लघुकथा संग्रह) दर्ज है तो मराठी में अनुवाद (बूढ़ी आँखों का दर्द)भी हुआ है। ऐसे ही कुछ पुस्तकें प्रकाशनाधीन हैं। अनेक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है तो दलित साहित्य अकादमी (दिल्ली) से बाबा साहब भीमराव आम्बेडकर नेशनल फेलोशिप (२००८), रेणु सम्मान (बिहार सरकार), साहित्य प्रभा विद्याभूषण सम्मान (देहरादून) और साहित्य श्री (छग), साहित्य सिंधु (भोपाल) आदि सम्मान प्राप्त हुए हैं। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य व हिन्दी भाषा के प्रति भारतीय युवाओं को जागरूक करना है। आपके पसंदीदा हिन्दी लेखक फणीश्वरनाथ रेणु, बाबा नागार्जुन, मुंशी प्रेमचंद, हिमांशु जोशी और प्रेम जनमेजय हैं। माता-पिता को प्रेरणा पुंज मानने वाले डॉ. अनुज प्रभात का जीवन लक्ष्य साहित्य व मानव सेवा है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति विचार-“देश के प्रति हम सभी समर्पित होते हैं, किन्तु देश के विकास के लिए भाषा का विकास आवश्यक है। हमारी राष्ट्र भाषा हिन्दी है और हम उसके प्रति न संवेदनशील हैं और न ही जागरूक। आज निःशुल्क टोल नम्बर पर भी यही बोला जाता है-‘अंग्रेजी के लिए १ दबाएं, हिन्दी के लिए २ दबाएं…।’ हिन्दी के लिए १ दबाएं क्यों नहीं ? बात छोटी है…, पर हमें ध्यान देना चाहिए।”